OBOR प्रोजेक्ट में भारत का भी साथ चाहता है चीन

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 6 दिनों के चीन और मंगोलिया दौरे पर हैं. अपनी यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज चीन के नेताओं से विभिन्न द्विपक्षीय मसलों पर बात करेंगे. इस बीच खबर आ रही है कि चीन अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘वन बेल्ट वन रोड’ (OBOR) में भारत को भी शामिल करने की कोशिश में जुटा है. हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

चीन ने आर्थिक मंदी से उबरने, बेरोजगारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ‘वन बेल्ट, वन रोड’ प्रोजेक्ट पेश किया है. इसके तहत एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग, गैस पाइप लाइन और बंदरगाह से जोड़ा जाएगा. बता दें कि ‘वन बेल्ट-वन रोड’ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का सपना है. जिसकी औपचारिक शुरुआत 14-15 मई 2013 को बीजिंग में हो चुकी है.

बीजिंग में सक्रिय सूत्रों के मुताबिक, चीन को लगता है कि नेपाल में किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करना आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा. लेकिन, भारत को दरकिनार कर ये काम करना मुश्किल है. चीन-म्यांमार-बांग्लादेश-भारत आर्थिक गलियारे (इकोनॉमिक कॉरीडोर) के मामले में भी ऐसा ही है. सूत्रों के मुताबिक, चीन भारत के सहयोग को महत्व देता है. लेकिन, भारत की तरफ से वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही.

चीन के इतिहास में सिल्क रोड वो ऐतिहासिक रास्ता रहा है, जिसके रास्ते सदियों तक व्यापार हुआ. ये रोड एशिया के तमाम देशों से गुज़रता हुआ पूर्वी एशियाई देशों कोरिया और जापान तक को यूरोप से लगे भूमध्य सागर के आसपास के इलाकों तक जोड़ता था. चीन के लिए ये रास्ता हमेशा से ही आर्थिक खुशहाली का ज़रिया बना रहा. इस रास्ते की अहमियत इतनी थी कि सवा दो हज़ार साल पहले चीन के हान सम्राट तक ने इस रास्ते की सुरक्षा के लिए भी चीन की दीवार का निर्माण किया था. सिल्क रोड के आधार पर चीन जिस ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. उसका साझेदार पाकिस्तान भी है. ‘वन बेल्ट वन रोड’ का एक हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है.

इन गलियारों से जाल बिछाएगा चीन
न्यू सिल्क रोड के नाम से जानी जाने वाली ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना के तहत छह आर्थिक गलियारे बन रहे हैं. चीन इन आर्थिक गलियारों के जरिए जमीनी और समुद्री परिवहन का जाल बिछा रहा है.
> चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा
> न्यू यूराशियन लैंड ब्रिज
> चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा
> चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा
> बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा
> चीन-इंडोचाइना-प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा

वन बेल्ट वन रोड बनने के बाद क्या होगा?
चीन अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना के जरिये दुनिया की 60 फीसदी आबादी यानी 4.4 अरब लोगों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहा है. वह इन पर एकछत्र राज करना चाहता है. ऐसे में इसके भावी परिणाम बेहद गंभीर साबित हो सकते हैं. इन देशों के लोग भविष्य में चीन के गुलाम बन कर रहे जाएंगे. चीन का रिकॉर्ड रहा है कि वह बिना स्वार्थ के कोई काम नहीं उठाता है. खासकर विदेशी निवेश को लेकर उसका रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है.

डोकलाम को लेकर चीन-भारत में बढ़ा विवाद
– डोकलाम में विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था. हालांकि, चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था.
– इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है. चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है. भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है. इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है.
– बता दें कि भारतीय-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था. हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे. 73 दिन बाद अगस्त में यह टकराव खत्म हुआ और दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी.
-हालांकि, इसके बाद भी बीच-बीच में डोकलाम इलाके में चीनी सेना के बंकर बनाने की खबरें आती रहती हैं.