क्या वाकई यूजर्स का डेटा सुरक्षित है?

फेसबुक डेटा स्कैंडल के सामने आने के बाद यूजर्स के मन में अपने निजी डेटा को लेकर कई तरह के सवाल हैं। क्या वाकई यूजर्स का डेटा सुरक्षित है? फेसबुक हो या कोई ऐप, जब भी बात आती है निजी डेटा की तो हमें कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। हम और आप कुछ सावधानियां बरतकर अपनी निजी जानकारियों को सुरक्षित कर सकते हैं।
क्या आपको याद है कि ऐप डाउनलोड,साइनअप और रजिस्ट्रेशन के दौरान आपने कितनी बार ‘I agree’ और लंबे-चौंड़े नियम व शर्तों को पढ़े बिना ही ‘Terms and conditions’ पर क्लिक किया है। अब सोचिए कि आप ऑनलाइन सिक्यॉरिटी को लेकर कितने सजग हैं? मोबाइल ऐप्लिकेशंस को लेकर आपको बेहद सावधान रहने की जरूरत है।
ये ऐप्स आपकी कॉन्टेक्ट लिस्ट और मेसेज का ऐक्सेस आपसे लेते हैं और आपकी बैंक ट्रांजेक्शन से लेकर वन-टाइम पासवर्ड्स के अलावा, आपकी गैलरी में मौजूद तस्वीरों तक का ऐक्सेस इनके पास होता है। इतनी ही नहीं, इन ऐप्स के पास आपकी रियल टाइम लोकेशन, आपका मकान नंबर, रेस्तरां और आपके अकाउंट डीटेल तक की जानकारी रहती है। अब सोचिए, क्या आपने अपनी निजी जानकारी को साझा करने के लिए ही ऐप्स को डाउनलोड किया था? जी हां, जब आप ऐप इंस्टॉल कर रहे थे तो ‘Accept’ पॉपअप पर सिलेक्ट करते ही आपने दरअसल इसकी अनुमति दे दी थी।
ध्यान रहे कि आप जब भी प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से कोई ऐप डाउनलोड करते हैं तो ऐप आपसे परमिशंस मांगता है। इन परमिशंस में मेसेज, फोन कॉल डिटेल्स, मीडिया फाइल्स, कॉन्टेक्ट आदि शामिल रहते हैं। यानी अगर आपने अपने फोन में कोई ई-वॉलिट डाउनलोड किया है तो आपने उसे अपने कॉन्टेक्ट्स और मेसेज को ऐक्सेस करने की अनुमति दी होगी।

इसी तरह फोटो एडिटिंग ऐप के लिए आपका कैमरा और गैलरी ऐप की पहुंच में होता है। यानी आपने खुद ही अपने निजी डेटा को इन ऐप्स को सौंप दिया है। हालांकि अगर आप ऐप डाउनलोड करते समय परमिशंस को स्किप कर देते हैं तो आप ऐप के सभी फीचर्स का फायदा नहीं ले सकते। वहीं, अगर आप ऐक्सेस देते हैं तो आपकी निजी जानकारी की चोरी और सिक्यॉरिटी रिस्क बढ़ जाता है। लगभग सभी मोबाइल ऐप्स फोन और रिमोट सर्वर्स के बीच डेटा ट्रांसमिट और रिसीव करते हैं।
कई ऐप्स आपसे डेटा और फंक्शंस को ऐक्सेस करने की अनुमति मांगते हैं जबकि इसकी जरूरत नहीं होती। जैसे कि एक चैट ऐप आपसे मीडिया फाइल्स की ऐक्सेस लेता है ताकि आपके कॉन्टेक्ट्स के साथ तस्वीरों को साझा कर सके। अगर यह आपसे लोकेशन मांगता है तो सतर्क हो जाएं। इसी तरह एक फोटो एडिटिंग ऐप कैमरा व गैलरी का ऐक्सेस मांगता है तो ठीक है लेकिन अगर यह लोकेशन और कॉन्टेक्स की डिमांड करता है तो सावधान हो जाएं।
जब आप कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं तो आपको कुछ परमिशंस देनी होती हैं ताकि ऐप को ठीक से इस्तेमाल किया जा सके।

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जब आप एक इंस्टेंट ऐप इस्तेमाल करते हैं
किसी इंस्टेंट ऐप को इस्तेमाल करने पर आप परमिशंस को अनुमति दे सकते हैं या मना कर सकते हैं। किसी इंस्टेंट ऐप में शामिल परमिशंस:
अपनी डिवाइस पर, सेटिंग्स में जाकर ऐप सेटिंग्स खोलें
गूगल में जाएं और फिर इंस्टेंट ऐप्स पर टैप करें
टैप करने पर आप और ज़्यादा जानकारी देख सकते हैं
‘Permissions’ में जाकर देख सकते हैं कि ऐप के पास क्या परमिशंस हैं

परमिशंस को ऑन या ऑफ करना अपनी डिवाइस के मुख्य सेटिंग ऐप में जाकर आप किसी भी समय ऐप्स की परमिशंस बदल सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि परमिशंस टर्न ऑफ करने से डिवाइस पर ऐप की फंक्शनालिटी सीमित हो सकती है।
नोट: अगर आप किसी ऑफिस, स्कूल या सरकारी गूगल अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो, आपके एडमिनिस्ट्रेटर के पास परमिशंस को कंट्रोल करने के लिए डिवाइस पॉलिसी ऐप हो सकता है।

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ऐंड्रॉयड 6.0 और इससे ऊपर के वर्ज़न के लिए ऐप परमिशंस
ऐंड्रॉयड 6.0 मार्शमैलो और इससे ऊपर के वर्ज़न के लिए ऐप परमिशंस नीचे दी गईं हैं। आपकी डिवाइस पर दिखने वाली परमिशंस निर्माताओं के हिसाब से अलग-अलग हो सकतीं हैं।

अपनी डिवाइस पर परमिशंस को रिव्यू करने के लिए, ‘Turn permissions on or off’ विकल्प में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
              Body Sensors
              Calendar
              Camera
              Contacts
              Location
              Microphone
              Phone
              SMS

              Storage
नोट: अगर आप ऐंड्रॉयड 6.0 से कम वर्ज़न वाली डिवाइस चला रहे हैं तो, रिव्यू ऐप परमिशंस में जाकर जानकारी ले सकते हैं कि परमिशंस कैसे काम करेंगी।