रविवार को क्यों नहीं तोड़ी जाती तुलसी की पत्तियां, क्या है मान्यता

नई दिल्ली: हिंदु धर्म में सभी पूजा-पाठ वार और समय के अनुसार होते हैं. पूजा से लेकर शादी तक सभी शुभ काम की शुरुआत मुहूर्त देखकर की जाती है. इसी के साथ ही इन शुभ कामों में इस्तेमाल होने वाली हरेक चीज का अलग महत्व होता है. हर भगवान को अलग-अलग प्रकार के प्रसाद से भोग और सामानों से पूजा जाता है. ऐसी ही एक मान्यता है कि तुलसी से जुड़ी कि रविवार को तुलसी नहीं तोड़ी जाती. यहां जानें क्या है इस की वजह और इससे जुड़ी कहानी.

तुलसी को तोड़ने के लिए ही नहीं बल्कि इसे लगाने और पूजा में इस्तेमाल करने को लेकर भी कई मान्यताएं फैली हुई हैं. जैसे गुरुवार को तुलसी का पौधा लगाना चाहिए, इसे घर से बाहर नहीं बल्कि बीच आंगन में लगाना चाहिए और इसे घर में लगाने का सबसे उत्तम महीना कार्तिक का होता है आदि. ऐसे ही कई जगहों और लोगों के बीच यह भी मान्यता है कि संडे यानी रविवार के दिन तुलसी का पौधा या इसकी पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए.

इस मान्यता को लेकर लोगों का मानना है कि रविवार का दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है इसीलिए इस दिन तुलसी नहीं तोड़ी जाती. क्योंकि तुलसी भी भगवान विष्णु को प्रिय होती है. विष्णु जी को तुलसी प्रिय बनाने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है. उनके वरदान से ही तुलसी कलयुग में भगवान विष्णु और कृष्ण जी की प्रिय होने के साथ-साथ जगत को जीवन और मोक्ष देने वाली भी बनी. लेकिन गणेश जी ने ही यह श्राप भी दिया कि उनकी पूजा में कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाएगी.