एक बार फिर एम्स के डॉक्टरों ने पीएम मोदी से एक दिन अस्पताल में बिताने की मांग की है। यह दूसरा मौका है जब एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन ने प्रधानमंत्री को डॉक्टरों की परेशानी समझने के लिए अस्पताल में एक दिन बिताने की अपील की है। डॉक्टर्स ने मोदी को पत्र लिखकर उनके उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने डॉक्टरों के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहा था कि वे फ़ार्मासूटिकल कंपनियों को प्रमोट करने के लिए ही डॉक्टरविदेशों में कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेते हैं। इस मसले पर कई दूसरे डॉक्टर्स असोसिएशन ने भी पीएम के बयान की निंदा की थी।
पीएम मोदी ने लंदन में ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में जेनेरिक दवाओं की कीमत के बारे में बात की थी। उन्होंने विदेशों में डॉक्टरों द्वारा फार्मा कंपनियों के सम्मेलनों में भाग लेने के लिए डॉक्टरों की आलोचना की थी। पीएम की आलोचना के बाद एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की। कहा कि दवाइयों की कीमतें तय करना डॉक्टरों के नहीं, सरकार के हाथ में होता है। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष डॉ़ हरजीत सिंह भट्टी ने कहा कि डॉक्टर सिर्फ वही दवाइयां लिखते हैं जो अस्पताल में उपलब्ध होती है। जब दवाइयों के रेट डॉक्टर तय नहीं करते तो उनके लिए ऐसे बयान क्यों दिए जाते हैं?
डॉक्टर हरजीत ने कहा कि डॉक्टरों की कमी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते पहले ही बहुत चुनौतियां हैं। डॉक्टर और मरीज के बीच में बढ़ी दूरियों को कम करने के लिए पहले ही डॉक्टर प्रयासरत हैं और ऐसे में पीएम का ऐसा बयान निराश करने वाला है। ऐसे बयान मेडिकल टूरिज्म को भी नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
‘डॉक्टरों से क्या उम्मीद करते हैं?’
इंडियन मेडिकल असोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉ़ रवि वानखेडकर ने भी ने कहा कि हम सभी भारतीय डॉक्टर पीएम मोदी की टिप्पणियों से दुखी हैं। डॉक्टरों के दवाई लिखने के मसले में क्वॉलिटी एक बहुत बड़ी अड़चन है। मौजूदा समय में सरकार द्वारा क्वॉलिटी की जांच केवल एक प्रतिशत है। ऐसे में आप डॉक्टरों से क्या उम्मीद करते हैं?