अमित शाह ने चुना राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी के सबसे ताकतवर शख्स माने जाने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भी राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की जिद के सामने झुकना पड़ रहा है? खबरों की मानें तो बीते एक हफ्ते में बीजेपी अध्यक्ष शाह राजस्थान के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर सके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन नामों पर शाह विचार कर रहे हैं, उन्हें अध्यक्ष बनाने पर राजे रजामंद नहीं हैं। अगर ऐसा है तो बीजेपी की राजनीति में यह दुर्लभ मौका ही होगा, जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के फैसले को पार्टी के अंदर ही किसी ने वीटो करने की कोशिश की हो।

राजस्थान में इसी साल के आखिर तक चुनाव होने हैं। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, वसुंधरा राजे के धुर समर्थक माने जाने वाले अशोक परनामी ने राज्य बीजेपी अध्यक्ष पद से 18 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, शाह ने राज्य में पार्टी की अगुआई करने की जिम्मेदारी गजेंद्र सिंह शेखावत को देने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, राजे के पुरजोर विरोध की वजह से अभी तक शेखावत के नाम का ऐलान नहीं हो सका है। एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘भरोसा नहीं होता कि ऐसा हुआ है। हम यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर में किसकी चलेगी?’

शेखावत एक राजपूत नेता हैं। राजे ने उनके विरोध में यह दलील दी है कि शेखावत को अध्यक्ष बनाने से जाट वोटर नाराज हो सकते हैं। राजे एक ऐसा चेहरा चाहती हैं, जो जातिगत पहचान के दायरे में न आता हो। कुछ पिछले अध्यक्ष परनामी जैसा, जो सिंधी पंजाबी हैं और जिनकी आबादी राज्य में काफी कम है। माना जा रहा है कि राजे ने श्रीचंद कृपलानी का नाम आगे बढ़ाया है। कृपलानी भी सिंधी पंजाबी हैं और राजस्थान सरकार में मंत्री हैं। सूत्रों के मुताबिक, शाह को नहीं लगता कि चुनाव से पहले कृपलानी पार्टी को सियासी जंग के लिए तैयार कर पाएंगे। वहीं, पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि राजे किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनवाना चाहती हैं जो उनके प्रभाव में काम करे और केंद्रीय आलाकमान से सीधे निर्देश लेकर काम न करे।

शाह ने शेखावत का नाम राजपूत फैक्टर को ध्यान में रखकर बढ़ाया था। उन्हें लगता है कि इससे राजपूत समुदाय में अच्छा संदेश जाएगा। माना जा रहा है कि राजपूत फिलहाल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। बता दें कि बीजेपी को हाल ही में राज्य में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उप-चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। कई केंद्रीय नेताओं ने इस हार की वजह राजपूतों के गुस्से को बताया था। वहीं, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर एक अन्य केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नाम पर भी अटकलें जारी हैं। सूत्रों के मुताबिक, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मेघवाल पर भी राजे की सहमति नहीं है। बीच का रास्ता निकालने के तौर पर महासचिव भूपेंद्र यादव के नाम की भी अटकलें हैं। पार्टी नेताओं को लगता है कि यादव पर शाह और राजे दोनों की सहमति बन सकती है।