कैराना में हार के लिए भीम आर्मी जिम्मेदार: बीजेपी नेता

बीजेपी और आरएएस के नेताओं का मानना है कि उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में हार के लिए भीम आर्मी जिम्मेदार है। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को संघ और पार्टी के नेताओं ने कहा कि भीम आर्मी ने कैरान चुनाव में खास तौर पर काफी प्रभाव डाला। भीम आर्मी ने दलितों और मुस्लिमों को एकजुट करने का काम किया और वोट बीजेपी के विरोध में गए।

एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘पिछले साल जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी लोगों की नजर में आई। जातीय हिंसा के खिलाफ भीम आर्मी का प्रभाव है। कैराना उपचुनाव में भीम आर्मी ने खास तौर पर दो क्षेत्रों नकुर और गंगोह में प्रभाव डाला क्योंकि इन दोनों ही जगहों पर 2 लाख से अधिक वोट हैं। दलितों और मुस्लिमों को एकजुट कर बीजेपी के खिलाफ खड़ा करने में भीम आर्मी सफल हो रही है।’

कैराना  में चुनाव प्रचार से जुड़े एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘भीम आर्मी ने रात में भी कैंप लगाकर लोगों को मतदान के लिए उत्साहित किया। चुनाव वाले दिन भी भीम आर्मी के सदस्य दलित और मुस्लिम वोटरों को मतदान के लिए बूथ तक ले जाने में सफल रहे। नकुर और गंगोह 2 ऐसे क्षेत्र हैं जहां बीजेपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने युद्ध स्तर पर चुनाव प्रचार किया था। इस क्षेत्र से ही आरएलडी उम्मीदवार को 28 हजार से अधिक की लीड मिल गई।’

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘कैराना उपचुनाव में 5 क्षेत्रों में हमारा फोकस थाना भवन और कैराना पर मुख्य रूप से था। भीम आर्मी एक स्थानीय मुद्दा है और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में हम इसका खास तौर पर ख्याल रखेंगे।’ बता दें कि वकील चंद्रशेखर आजाद ने भीम और भीम आर्मी एकता मिशन की स्थापना की थी। उन्हें 2017 में नैशनल सिक्यॉरिटी ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।

बता दें कि कैराना उपचुनाव में 54.17% ही मतदान हुआ जो 2014 से 18 फीसदी कम है। 2014 में बीजेपी ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी और पार्टी को अभी भी उम्मीद है कि अगले साल लोकसभा चुनावों में ज्यादा संख्या में मतदाता घर से निकलेंगे और पार्टी फिर सीट जीतने में सफल रहेगी। पार्टी नेताओं का कहना है कि कैराना हमेशा से ही बीजेपी के लिए एक मुश्किल सीट रही है।

28 मई को उपचुनाव से पहले बीजेपी और आरएसएस के प्रचारकों ने एक सप्ताह तक घर-घर जाकर मतदाताओं से वोट देने की अपील की थी। क्षेत्र में बीजेपी और संघ ने हिंदू पलायन के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया। 2017 में कैराना में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी है। ठाकुर और दलितों के बीच गुरु रविदास के मंदिर को लेकर विवाद हो गया था।