नेशनल फिल्म अवॉर्ड विवाद से नाखुश है राष्ट्रपति भवन

नेशनल फिल्म अवॉर्ड में राष्ट्रपति के हाथों सभी विजेताओं को सम्मान न दिए जाने का विवाद चर्चा में है. इसके विरोध में करीब चार दर्जन से ज्यादा कलाकारों ने समारोह का बहिष्कार किया था. विरोध कर रहे कलाकारों का आरोप था कि उन्हें पहले बताया गया था कि राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

बता दें कि गुरुवार को हुए आयोजन में सिर्फ 11 कलाकारों को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मान मिला. बाकी कलाकारों को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय राज्यमंत्री राज्य वर्धन सिंह राठौर ने सम्मानित किया.

सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पूरे मामले पर विवाद से राष्ट्रपति भवन नाखुश है, क्योंकि राष्ट्रपति सचिवालय मार्च के शुरू से ही इवेंट को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संपर्क में था. ये पहले से ही तय था कि राष्ट्रपति इवेंट में सिर्फ एक घंटा ही बिताएंगे, इसलिए वे सभी कलाकारों को अपने हाथों अवॉर्ड नहीं देंगे.

सूत्रों के अनुसार, मार्च के अंत तक बातचीत के बाद सभी चीजें तय कर ली गई थीं. ये मिनिस्ट्री पर छोड़ा गया था कि कितने लोगों को राष्ट्रपति अवॉर्ड देंगे और किसे मंच पर सम्मानित किया जाएगा.

 हालांकि विरोध कर रहे कलाकारों की मानें तो मंत्रालय की ओर से विजेता कलाकारों को भेजे निमंत्रण पत्र में लिखा गया था कि राष्ट्रपति अपने हाथों से यह सम्मान देंगे. लेकिन समारोह से ठीक पहले सिर्फ 11 कलाकारों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मान मिलने की बात कलाकारों को पता चली. इसके बाद 120  विजेता कलाकारों ने फिल्म फेस्ट‍िवल के एडि‍शनल डायरेक्टर जनरल चैतन्य प्रसाद और राष्ट्रपति कार्यालय को लिखा कि वे अवॉर्ड सेरेमनी में भाग नहीं लेंगे. कई विजेता कलाकारों ने बैठक कर अवॉर्ड लेने से मना कर दिया. विरोध के बाद राष्ट्रपति कार्यालय से बयान जारी किया गया और पूरी बात समझाने की कोशिश हुई. केंद्रीय मंत्री ने भी कलाकारों से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया. पर अंत में कई कलाकारों ने विरोध स्वरुप अवॉर्ड नहीं लिया. राष्ट्रीय पुरस्कार के इतिहास में ये विवाद अपनी तरह से अलग था.

ऑस्कर विजेता साउंड ड‍िजाइनर रेसुल पूकुट्टी ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा, अगर भारत सरकार हमारे सम्मान में अपना तीन घंटे का समय भी नहीं दे सकती तो उन्हें हमें राष्ट्रीय पुरस्कार देने की जहमत नहीं उठानी चाहिए. हमारे 50 फीसदी से ज्यादा पसीने की कमाई आप मनोरंजन कर के रूप में ले लेते हैं, हमारी जो प्रतिष्ठा है कम से कम उसका तो सम्मान कीजिए.