न्यायालय का असम में परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ याचिका पर केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस

नई दिल्ली (hdnlive)। उच्चतम न्यायालय ने असम में विधानसभा और संसदीय क्षत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये। याचिका में कहा गया है कि परिसीमन की प्रक्रिया 2001 की जनगणना के आधार पर करने का प्रस्ताव है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी किये। याचिका में कोविड-19 महामारी के प्रभाव खत्म होने तक राज्य में सीटों के परिसीमन की कार्रवाई स्थगित रखने का अनुरोध किया गया है।

इस याचिका में कहा गया है कि इस समय 2021 की जनगणना का काम चल रहा जबकि 2011 में पहले ही जनगणना हो चुकी है। याचिका में इस साल 28 फरवरी का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। इस आदेश के तहत असम में परिसीमन की प्रक्रिया स्थगित करने संबंधी आठ फरवरी, 2008 की अधिसूचना को निष्प्रभावी कर दिया गया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि असम में परिसीमन की लंबित प्रक्रिया मनमानी और जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है और 2001 की जनगणना के आधार पर इसे करना परिसीमन के मूल विचारों के खिलाफ है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पेश किये जाने से लेकर नागरिकता संशोधन कानून 2019 लागू होने तक असम में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुये हैं। याचिका के अनुसार असम में स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गयी थी कि पिछले साल 28 अगस्त से छह महीने के लिये पूरे राज्य को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून, 1958 के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करना पड़ गया था। इसके बाद असम सरकार ने पूरे राज्य को इस साल 28 फरवरी के बाद भी छह महीने के लिये अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया था।