बेइंतहां ‘दर्द’ में हिमांशु रॉय ने कर ली खुदकुशी

 महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व प्रमुख हिमांशु रॉय को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. उनके साथ बिताए कुछ पलों को याद करते हुए पटनायक ने कहा कि वे यह घटना सुनकर स्तब्ध हैं. पटनायक ने रॉय की मौत को ‘पूरी तरह से अविश्वसनीय’ बताया है. पटनायक का हिमांशु रॉय से नाता तब से था जब वे मुंबई के पुलिस उपायुक्त हुआ करते थे.

आईपीएल और ज्योतिर्मय डे (जेडे) केस को याद करते हुए पटनायक ने कहा, मैंने उन्हें काफी तेज और परिष्कृत पुलिस अधिकारी के रूप में देखा. उन्हें फिटनेस का काफी शौक था. पटनायक ने आगे कहा, वे बेहद सुलझे हुए और शांत चित्त इंसान थे.

पटनायक पुलिस अधिकारी से रिटायर होने के बाद कोणार्क कैंसर फाउंडेशन चला रहे हैं. रॉय चूंकि कैंसर के मरीज थे, इसलिए पटनायक के साथ उनका बराबर से नाता बना रहा. बकौल पटनायक, रॉय पिछले तीन साल से कैंसर से पीड़ित थे. उन्हें इस बीमारी का पता तब चला जब उनके पूरे बदन में सूजन हो गई. तब तक काफी देर हो चुकी थी. कैंसर उनकी हड्डियों तक में फैल चुका था. इतना कुछ के बावजूद रॉय लगातार काम करते रहे. बीमारी के बाद पिछले दो साल में कुछ छुट्टियां लीं.

अरूप पटनायक ने कहा, मैं हिमांशु रॉय के साथ लगातार संपर्क में था. तीन महीने पहले उन्होंने मेरे से इस बीमारी के बारे में खास जानकारी मांगी. मैंने उन्हें एक डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी. वहां जाने पर पता चला कि कैंसर उनके दिमाग तक में पसर गया है. इसके बाद अंतिम विकल्प ऑपरेशन ही बचता था लेकिन रॉय शायद यह मान चुके थे कि इससे भी कुछ नहीं होने वाला है. यही कारण हो सकता है जो उन्होंने खुद को गोली मारी. यह मेरी धारणा है, बाकी तो पुलिस जांच में बात सामने आएगी.पटनायक ने आगे कहा, लोग अगर यह सोचते हैं कि हिमांशु रॉय एक तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी थे, इसलिए वे कैंसर से लड़ सकते थे, तो यह बेवकूफी वाली बात होगी. बीमारी से क्या लड़ा जा सकता है? पटनायक ने पूछा, क्या तूफान या भूकंप से लड़ा जा सकता है? रॉय काफी दर्द में थे और उन्होंने अंत में इतना कड़ा कदम उठाया.

बकौल पटनायक, तीन महीने पहले जब पटनायक उनसे मिले तो उन्होंने कहा, सर मैं काफी दर्द में हूं. यह नहीं सहा जा रहा. कृपया आप मेरे लिए ईश्वर से दुआ कीजिए.

पटनायक ने कहा कि वे हिमांशु रॉय को लोगों के सामने एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में पेश करना चाहते हैं जो लगातार कैंसर से जूझते हुए भी अपना फर्ज निभाता रहा लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. रॉय जैसी महान आत्मा से ऐसे काम की उम्मीद कतई नहीं थी.