सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली पहली महिला वकील होंगी इंदु मल्होत्रा

केंद्र सरकार ने वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तीन महीने पहले उनके नाम की सिफारिश की थी, जिसपर सरकार ने बुधवार को मुहर लगा दी. मल्होत्रा पहली महिला वकील होंगी, जिन्हें सीधें शीर्ष अदालत की जज बनाया गया हो.

संवैधानिक पद के लिए किसी व्यक्ति की नियुक्ति से पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो उनकी प्रोफेशनल क्षमता और व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा की जांच करता है. इसके अलावा आईबी उनके खिलाफ लगे आरोपों की सत्यता की भी जांच करता है और सरकार को अपनी रिपोर्ट देता है.

आईबी ने जांच-पड़ताल के बाद इस हफ्ते की शुरुआत में ही मल्होत्रा की फाइल विधि मंत्रालय को वापस भेज दी थी और फिर प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी के बाद मंत्रालय ने भी उस पर मुहर लगा दी.

कॉलेजियम ने तीन महीने पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति का सुझाव दिया था. हालांकि जस्टिस जोसेफ की फाइल अब भी लॉ मिनिस्ट्री के पास है.

सरकार को लगता है कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की सिफारिश कर कालेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का सम्मान नहीं किया है. वह उच्च न्यायालय के 669 न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 42वें स्थान पर हैं.

अगर सरकार कालेजियम की एक सिफारिश को स्वीकार करती है और दूसरी को रोके रखती है तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिख सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कुरियन जोसेफ ने पिछले दिनों सीजेआई दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने कॉलेजियम के सुझावों पर कोई कदम नहीं उठाने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे. 9 अप्रैल को लिखे पत्र में जस्टिस जोसेफ ने सीजेआई को लिखा था कि जजों की नियुक्ति नहीं कर पाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट का गौरव और सम्मान दिन पर दिन घटता जा रहा है.