सूचना आयोग ने मांगे पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत से जुड़े रिकॉर्ड

केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही विदेश व गृह मंत्रालय को वर्ष 1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत से जुड़े रिकॉर्ड सार्वजनिक करने को कहा है। एक आरटीआई पर सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यूलू ने निर्देश दिया है कि वर्ष 1977 में इस मामले की जांच के लिए गठित राजनारायण समिति की रिपोर्ट जनता के सामने पेश की जाए।

 बता दें कि राजनारायण समिति का गठन तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार ने 11 जनवरी, 1966 को रूस के ताशकंद में हुई शास्त्री की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए किया था। शास्त्री की मौत 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद ताशकंद में पाकिस्तानी राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान के साथ घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के कुछ घंटे बाद ही हो गई थी। आजादी के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री शास्त्री वहां तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति एलेक्सी कोसीजिन के बुलावे पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति के साथ वार्ता के लिए गए थे।

मौत के कारणों पर उठता रहा है संदेह

उनकी मौत हार्ट अटैक के कारण होने की घोषणा की गई थी, लेकिन विदेशी धरती पर हुई इस मौत का लेकर तरह-तरह की बातें उठती रही हैं। इसे लेकर संदेह इसलिए भी उठा था कि शास्त्री के निजी फिजिशियन आरएन चुघ और निजी नौकर रामनाथ की मौत उस समय सड़क दुर्घटना में हुई थी, जब वे राजनारायण समिति के सामने गवाही के लिए आ रहे थे। संदेह के बादल तब और गहरा गए थे, जब सरकार ने इससे जुड़े रिकॉर्ड को गोपनीय और देशहित में सार्वजनिक करने से प्रतिबंधित बताकर आरटीआई के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

इस कारण उठा मामला

नवदीप गुप्ता नाम के एक व्यक्ति ने सूचना अधिकार के तहत गृह मंत्रालय से जानकारी मांगी थी कि शास्त्री का शव अंतिम संस्कार के लिए भारत लाया गया था या उनकी अंतिम क्रिया तत्कालीन सोवियत संघ में ही की गई थी। साथ में उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति भी मांगी थी। गृह मंत्रालय ने ये आरटीआई नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएआई) को भेज दी थी।

2011 में भी दिए थे आदेश

केंद्रीय सूचना आयोग ने वर्ष 2011 में भी एक अन्य मामले में शास्त्री की मौत से जुड़े 11 पेज की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था, लेकिन उस समय विदेश मंत्रालय के पास मौजूद ‘मुक्ति बाहिनी’ नाम के एक कागजात को छिपाने की इजाजत दे दी गई थी।