डब्ल्यूबीपीडीसीएल ने 4400 करोड़ की लागत से शुरू किया सागरदीघी संयंत्र का निर्माण

कोलकाता, 14 जुलाई (hdnlive)। राज्य में लगातार बढ़ती जा रही बिजली की जरूरतों को देखते हुए पश्चिम बंगाल विद्युत विकास निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीपीडीसीएल) ने इस महीने से अपने 4,400 करोड़ रुपये के सागरदीघी सुपर-क्रिटिकल संयंत्र की स्थापना के लिये प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया है। राज्य ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निगम को साढ़े तीन साल में निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है। कंपनी ने एक जुलाई को मुर्शिदाबाद जिले में 660 मेगावाट की तापीय विद्युत संयंत्र परियोजना के कार्यान्वयन के लिये प्रारंभ की तिथि (जीरो डेट) तय करने का निर्णय लिया है। निगम के निदेशक इंद्रनिल दत्त ने कहा, ‘‘जमीन को समतल बनाने जैसे प्रारंभिक कार्य शुरू हो गये हैं। एक जुलाई सागरदीघी सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट परियोजना के लिये जीरो डेट है। दत्त ने कहा, “संयंत्र के निर्माण को पूरा करने में 42 महीने लगेंगे और इसके चालू होने में तीन महीने का अतिरिक्त समय देना होगा।” आमतौर पर, परियोजना के पूरा होने की अवधि जीरो डेट से गिनी जाती है। उन्होंने कहा कि कुल परियोजना लागत 4,400 करोड़ रुपये आंकी गयी। वित्त पोषण हासिल कर लिया गया है और विद्युत वित्त पोषण निगम कर्ज दे रहा है।’’ भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) को परियोजना के लिये बॉयलर, टरबाइन, जनरेटर (बीटीजी) की आपूर्ति के लिये 3,500 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। सागरदीघी में निगम की 16 सौ मेगावाट की चार इकाइयां हैं। पांचवीं इकाई के बाद संयंत्र की कुल क्षमता बढ़कर 2,260 मेगावाट हो जायेगी। निगम के पास बैंडल, बकरेश्वर, कोलाघाट और संथालडीह में चार अन्य संयंत्र हैं। निगम की कुल उत्पादन क्षमता 3,150 मेगावाट है। माना जा रहा है कि इस नए संयंत्र की स्थापना के बाद राज्य की बिजली जरूरतों को पूरी करने में और अधिक मदद मिलेगी। खासकर उत्तर और दक्षिण 24 परगना के जरूरतें पूरी की जा सकेगी दरअसल हाल ही में पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान आया था, जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा उत्तर और दक्षिण 24 परगना तथा राजधानी कोलकाता में था। यहां 10 दिनों तक बिजली आपूर्ति बाधित रही थी। इसकी वजह है कि एक प्राइवेट कंपनी सीईएससी बिजली आपूर्ति करती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कंपनी पर बिजली आपूर्ति पुनः बहाल करने में विफल होने का आरोप लगाया था। उसके बाद ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि राज्य सरकार बिजली जरूरतों के लिए सरकारी संयत्र को मजबूत बनाएगी। सागरदीघी परियोजना भी इसी का एक हिस्सा माना जा रहा है।