गुप्त नवरात्रि : मां बगलामुखी की आराधना का आज, जानिए इनकी पूजा विधी और महत्व

गुप्त नवरात्रि की आठवीं शक्ति बगलामुखी हैं। बगुलामुखी की आऱाधना के साथ ही नवरात्रि पर्व के वे साधक व्रत परायण कर लेंगे जिनके यहां अष्टमी होती है। पुराणों कहा गया है कि गुप्त नवरात्रि दस महाविद्या को समर्पित हैं। सार्वजनिक दो नवरात्रि तो सभी करते हैं लेकिन जो गुप्त नवरात्रि करता है, उस पर देवी भगवती की विशेष कृपा होती है।

क्या हैं गुप्त नवरात्रि

जब भगवान शंकर के मना करने पर भी पत्नी सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के यहां यज्ञ में गईं तो वहां शिव का उनको तिरस्कार मिला। कहते हैं कि भगवान शंकर ने काफी मना किया कि बिन बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए। लेकिन सती नहीं मानी। सती ने क्रोधवश पहले काली शक्ति प्रकट की फिर दसों दिशाओं में दस शक्तियां प्रकट कर अपनी शक्ति की दिखा दी। आखिरकार भगवान शंकर को सती का हठ स्वीकार करना पड़ा। दश महाविद्या को देखकर भगवान शंकर ने सती से पूछा-‘ये कौन हैं ?’ सती ने अपने दसों रूप बता दिए। सामने कृष्ण रंग की काली हैं, ऊपर नीले रंग की तारा हैं। पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में धूमावती, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम-उत्तर में मातंगी तथा उत्तर-पूर्व में षोड़शी हैं और मैं खुद भैरवी रूप में अभयदान देने के लिए आपके सामने खड़ी हूं।’ यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर ने सती का भस्मालीन होने पर दस पीठों पर शक्ति पीठ की स्थापना की। यही दस पीठ दश महाविद्या कहीं गईं।

दस महाविद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।

माघ मास के गुप्त नवरात्रि का महत्व

बगलामुखी पूजा

गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन देवी बगलामुखी की आराधना करने का महत्व है। यूं उनका दिन मंगलवार है। लेकिन साधकों के लिए यह विशेष महत्व का दिन है, कि मंगलवार को ही अष्टमी का योग ( अपराह्न 3.54) मिल गया। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है। सोम चक्र उर्ध्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्र पर लगाना चाहिए। श्री महागौरी की आराधना से सोम चक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।*

अष्टमी तिथि (13 फरवरी, बुधवार) को माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है ।

मां बगलामुखी : माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय होने और शत्रुओं के नाश के लिए की जाती है। इनकी साधना से जहां घोर शत्रु अपने ही विनाश बुद्धि से पराजित हो जाते हैं वहां साधक के सारे कष्ट और रोगादि समाप्त हो जाते हैं।

तीन कन्याओं को भोज कराकर करें व्रत का परायण

– अष्टमी के साधक तीन या नौ कन्याओं का भोग कराएं

– सर्वथा उचित होगा कि तीन कन्याओं को भोग कराएं

– देवी भगवती को पीले हलुए का भोग लगाएं

– देवी स्वरूपा कन्याओं को भेंट दें। एक कन्या को नारियल भेंट करें

– यथासंभव सरसो के तेल का अखंड दीपक जलाएं ( मां पीतांबरा या बगलामुखी की आऱाधना के लिए)

– पीली सरसों से हवन करें। एक लोंग का जोड़ा माथे पर लगाकर अखंड दीपक में चढाएं।

– ऊं ह्लीं ऊं मंत्र का पीली हल्दी की माला से जाप करें।