गूगल लेकर आ रहा है टचलेस टेक्नोलॉजी

एक समय था जब कीपैड बटन वाले स्मार्टफोन से लोग काम करते थे। फिर समय आया स्क्रीन टच का, लेकिन देखते ही देखते यह समय भी बदल गया है। आने वाला वक्त है टचलेस टेक्नोलॉजी का। इशारों में ही डिवाइस को चलाया जा सकेगा। जेस्चर कंट्रोल तकनीक पर चलने वाले ऐसे डिवाइस को सबसे पहले गूगल लेकर आ रहा है। गूगल ने इसे ‘प्रोजेक्ट सोली’ नाम दिया है, जिसे अमेरिका में शुरुआती मंजूरी दे दी है।

1998 में दो पीएचडी छात्र लैरी पेज और सेरेगी ब्रिन ने मिलकर गूगल की शुरुआत की थी। यह दोनों कैलिफोर्निया में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र थे

2015 में अल्फाबेट नामक कंपनी बनाई थी और गूगल का स्वामित्व इसके पास है

2015 में गूगल ने रडार और सेंसर की मदद से पहली बार दिखाया था जेस्चर

ऐसा ही एक फीचर है ‘जेस्चर’, जिसमें स्मार्टफोन आपके हाथों के जेस्चर के जरिये ऑपरेट किया जा सकता है। जैसे मान लीजिए आपको फोन में टॉर्च ऑन करना है, तो फोन दाएं-बाए तरफ घुमाने पर टॉर्च ऑन हो जाएगी। जेस्चर फीचर में कॉल पिक करने, कॉल कट करने जैसे कई काम किए जा सकते हैं। जेस्चर फीचर यूजर के लिए काफी सुविधाजनक और तेज होता है और इसके लिए फोन को भी बार-बार अनलॉक नहीं करना होता है। पूरा फोन जेस्चर तकनीक पर चले, अभी यह संभव नहीं हुआ है। लेकिन कुछ फोन में पहले से ही जेस्चर फीचर मौजूद है।

आईफोन मोबाइल मार्केट में इस वक्त कंपनियों को एक दूसरे से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों में से एक एप्पल जल्दी ही आइफोन में टचलेस कंट्रोल और कर्व स्क्रीन का ऑप्शन ला सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो टचलेस कंट्रोल और कर्व स्क्रीन जैसे फीचर लाकर कंपनी अपनेआप को बाकी स्मार्टफोन कंपनियों से अलग दिखाना चाहती हैं। एप्पल आईफोन में फिलहाल ओएलईडी स्क्रीन का इस्तेमाल करती है। इन स्क्रीन को बाकी एलसीडी स्क्रीन के मुकाबले मोड़ा जा सकता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि आईफोन में स्क्रीन नीचे की तरफ मुड़ी हुई होती है। ब्लूमबर्ग के अनुसार एप्पल माइक्रो एलईडी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है।

क्विकिफाई एप को डाउनलोड और इंस्टॉल करने के बाद आप अपने फोन में जेस्चर फीचर की सुविधा आसानी से उपयोग कर पाएंगे। अगर आप अपने स्मार्टफोन के होम स्क्रीन पर हमेशा अपने मनपसंद आइकन रखना चाहते हैं या आप कभी भी किसी भी पसंदीदा आइकन ढूंढने में किसी भी तरह की परेशानी झेलना नहीं चाहते तो आपके लिए कोई क्विकिफाई एप काफी उपयोगी साबित होगा।

मान लें कि आप सोफे पर बैठे हैं और आपके टीवी का रिमोट काम नहीं कर रहा, ऐसे में आप उसे चुटकी बजाकर ऑन कर सकते हैं। हवा में उंगली चलाकर उसके चैनल बदल सकते हैं। अगर आप रसोई में कोई कार्य कर रहे हैं, इस दौरान किसी का फोन आ जाता है, तो आप फोन की तरफ पलकें झपकार उसे ऑन करके बात कर सकेंगे।

गूगल इससे पहले प्रोटोटाइप भी लाई थी, परंतु वह सफल नहीं हो पाया। राडार आधारित मोशन सेंसर को अधिकतम स्तर पर उपयोग करने में फेसबुक ने आपत्ति ली थी। उसका कहान था कि इससे वर्तमान प्रौद्योगिकी को नुकसान होगा। यही कारण है कि तब गूगल को अमेरिकी सरकार से मंजूरी नहीं मिल पाई।