चीन क्यों डरा उइगुर मुस्लिमों से है ! जाने इतिहास

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि चीन में उइगर मुस्लिम समुदाय को बड़े पैमाने पर हिरासत में रखने की रिपोर्ट से वह चिंतित है और आतंकवाद से निपटने के बहाने हिरासत में रखे गए इन लोगों को रिहा करने का आह्वान किया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर उइगुर मुस्लिम कौन हैं, उनका इतिहास क्या है और चीन को उनसे क्या डर है.

कहां से आए?

उइगुर मध्य एशिया में रहने वाले तुर्क समुदाय के लोग हैं जिनकी भाषा उइगुर भी तुर्क भाषा से काफी मिलती-जुलती है। उइगुर तारिम, जंगार और तरपान बेसिन के हिस्से में आबाद हैं।

उइगुर खुद इन सभी इलाकों को उर्गिस्तान, पूर्वी तुर्किस्तान और कभी-कभी चीनी तुर्किस्तान के नाम से पुकारते हैं। इस इलाके की सीमा मंगोलिया, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ-साथ चीन के गांसू एवं चिंघाई प्रांत एवं तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से मिलती है। चीन में इसे शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र (एक्सयुएआर) के नाम से जाना जाता है और यह इलाका चीन के क्षेत्रफल का करीब छठा हिस्सा है।

करीब दो हजार साल तक आज के शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र पर एक के बाद एक खानाबदोश तुर्क साम्राज्य ने शासन किया। उनमें उइगुर खागानत प्रमुख है जिसने आठवीं और नौवीं सदी में शासन किया। उइगुरों ने अपने अलग साम्राज्य की स्थापना की। मध्यकालीन उइगुर पांडुलिपि में उइगुर अली का उल्लेख है जिसका मतलब होता है उइगुरों का देश।

इतिहास

उइगुर का चीनी इतिहास 1884 में शुरू होता है। चिंग वंश के दौरान इस क्षेत्र पर चीन की मांचू सरकार ने हमला किया और इस इलाके पर अपना दावा किया। फिर इस क्षेत्र को शिंजियांग नाम दिया गया जिसका मैंड्रीन में ‘नई सीमा’ या ‘नया क्षेत्र’ मतलब होता है।

1933 और 1944 में दो बार उइगुर अलगाववादियों ने स्वतंत्र पूर्वी तुर्किस्तान गणराज्य की घोषणा की।

1949 में चीन ने इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया और 1955 में इसका नाम बदलकर शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र कर दिया।

सांस्कृतिक

चूंकि उइगुर मध्य एशिया के निवासी हैं इसलिए सांस्कृतिक तौर पर वे चीन के बहुसंख्यक हान चीनी समुदाय के मुकाबले मध्य एशिया के लोगों के ज्यादा करीब हैं। उनलोगों ने अनोखी संस्कृति विकसित की है और एशियाई साहित्य, औषधि, आर्किटेक्चर, संगीत, गीत, नृत्य एवं फाइन आर्ट्स में बड़ा योगदान दिया है। उइगुर अर्थव्यवस्था हल्के उद्योग पर आधारित है। उइगुरों ने करीब 2,000 साल पहले सिंचाई की एक प्रणाली का आविष्कार किया था जिससे इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में भी फल, कपास, गेहूं और चावल की खेती संभव हो सकी। इसके अलावा उइगुर इलाके में तेल और खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।