नवादा रेप केस: लालू के करीबी राजद MLA सहित 3 को उम्रकैद

नवादा रेप कांड मामले में राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. पटना सिविल कोर्ट स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. सुलेखा देवी और राधा देवी को उम्र कैद के साथ 20-20 हजार का जुर्माना लगाया गया है. वहीं छोटी कुमारी, टुन्नी कुमारी और संदीप सुमन को 10-10 वर्ष की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी गई है.

राजबल्लभ यादव को दुष्कर्म मामले में और चारों महिलाओं कोअनैतिक देह व्यापार में संलिप्तता को लेकर सजा सुनाई गई है. जुर्माने की रकम नहीं देने की स्थिति में सजा एक-एक साल के लिए बढ़ा दी जाएगी.

इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट में राजबल्लभ के वकील ने जज परशुराम सिंह से कम-से-कम सजा सुनाए जाने की कोर्ट से अपील की. उन्होंने उनकी बीमारी और सामजिक कार्यकर्ता होने की दी दलील भी दी, लेकिन जज ने एक नहीं सुनी. हालांकि राजबल्लभ के वकील ने कहा कि इस फैसले को वे ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे.

बता दें कि नवादा बलात्कार कांड में आरोपित आरजेडी से निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव समेत अन्य 5 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था.

इससे पहले बीते 4 दिसंबर को हुई सुनवाई के बाद विशेष जज परशुराम सिंह यादव ने आरोपपत्र पर दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. गौरतलब है कि दोनों पक्षों की करीब चार महीने तक गवाही चली. अभियोजन की ओर से 22 और बचाव पक्ष की ओर से 15 गवाहों ने गवाही दी थी.

वर्ष 2016 की फरवरी में एक नाबालिग से बलात्कार किए जाने के एक मामले में जून 2016 में निलंबित राजद विधायक राजबल्लभ यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. इसमें लालू यादव के करीबी राजबल्लभ यादव के अलावा संदीप सुमन उर्फ पुष्पंजय कुमार, राधा देवी, राधा की बेटी सुलेखा देवी, छोटी उर्फ अर्पिता और टिशु कुमार अभियुक्त बनाए गए थे.

फरवरी 2016 में नालंदा की एक नाबालिग लड़की को नवादा ले जाकर दुष्‍कर्म किया गया था. दुष्कर्म की घटना नवादा में राजबल्लभ यादव के चार मंजिला मकान में हुई थी. इसके बाद बिहारशरीफ महिला थाने में दुष्कर्म की प्राथमिकी 9 फरवरी 2016 को दर्ज हुई थी. लड़की ने इसका आरोप विधायक राजबल्‍लभ यादव पर लगाया था.

पुलिस ने मामले में आरोप पत्र 20 अप्रैल 2016 को दायर किया, जबकि अदालत ने संज्ञान 22 अप्रैल 2016 को लिया था. अदालत ने आरोपितों के खिलाफ 6 सितंबर 2016 को आरोप गठित किए थे. बिहारशरीफ कोर्ट में गवाही 15 सितंबर 2016 को शुरू हुई थी और बहस भी पूरी हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एमपी-एमएलए कोर्ट के गठन के बाद सारे रिकॉर्ड ट्रायल के लिए पटना में विशेष अदालत को भेज दिए गए थे.