योगी सरकार आज अपना तीसरा बजट पेश करेगी

आम बजट पेश होने के कुछ दिन बाद ही यूपी की बीजेपी सरकार भी अपना तीसरा बजट पेश करने वाली है। पीएम नरेंद्र मोदी की तरह ही योगी सरकार की कोशिश है कि इस बजट में सरकार का फोकस सामाजिक, कृषि और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर रहे। यह बजट करीब 5 लाख करोड़ रुपये का होगा, जब प्रदेश के इतिहास में सबसे ज्यादा है। इस बजट से सरकार प्रदेश में विकास कार्यों को रफ्तार देगी, वहीं आम जनता की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश भी रहेगी।

मोदी का योगी बजट

आम बजट के सभी बड़े ऐलानों का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को ही होने वाला है। गरीब किसानों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। ऐसे में केंद्र सरकार की गरीब किसानों को 6 हजार रुपये वार्षिक तौर पर मिलने वाली योजना का सबसे ज्यादा लाभी उत्तर प्रदेश को होगा।

उत्तर प्रदेश में एससी कैटिगरी के लोगों की संख्या भी सबसे ज्यादा (प्रदेश की अबादी की 21 प्रतिशत) है। ऐसे में इस सेक्शन के लोगों के लिए बजट में करीब 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। ऐसे में केंद्र सरकार की इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा जाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश को ही होगा।

केंद्र सरकार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना का ऐलान किया है। इसके लिए 750 करोड़ रुपये शुरुआती बजट रखा गया है। लंबे समय से गोरक्षा जैसे मुद्दें के कारण उत्तर प्रदेश चर्चा का केंद्र रहा है। प्रदेश सरकार भी गायों को लेकर कई कार्यक्रम चला रही है।

गैर-संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए केंद्र सरकार ने अपने बजट में बड़ ऐलान किया था। उत्तर प्रदेश में गैर-संगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों या कारीगरों की संख्या साढ़े चार करोड़ से भी ज्यादा है। इस मेसेज के जरिए न सिर्फ यूपी के स्थानीय कारीगरों के बीच, बल्कि बाहर से आकर काम करने वाले वर्कर्स के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा।

योगी का मोदी बजट

योगी सरकार के पूर्व के दो बजट भी केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजटों का ही एक्सटेंशन माने जाते रहे हैं। दिसंबर में योगी सरकार ने करीब 8 हजार करोड़ रुपये का सप्लिमेंटरी बजट पेश किया था, इसमें से 5 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए रखा गया था। इसमें सबसे ज्यादा राशि 3600 करोड़ रुपये प्रदेश के इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए और 2300 करोड़ रुपये राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के लिए दिए गए थे।

इसके क्या मायने?

यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं। दिल्ली पहुंचने के लिए यूपी से होकर जाना पड़ता है। बीजेपी की कोशिश है कि वह अपने 2014 वाले नतीजों को फिर से दोहराए। प्रदेश सरकार और केंद्र की योजनाओं को एक-दूसरे के बजट में सहयोग देकर वोटरों को अच्छा संदेश देने की कोशिश भी की जा रही है।