राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों का भविष्य अधर में

राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले 21 हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है। हाईकोर्ट ने बुधवार को अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने को लेकर किसी तरह का कोई आदेश पारित नहीं किया।

जस्टिस संगीता डी. सहगल ने बुधवार को मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद मामले की सुनवाई 31 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

उन्होंने अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने को लेकर शिक्षा निदेशालय की अर्जी पर किसी तरह का आदेश पारित नहीं किया है। इससे अब न सिर्फ अतिथि शिक्षकों का भविष्य अधर में है, बल्कि सरकारी स्कूलों शिक्षकों की कमी से यहां पढ़ने वाले लाखों छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।

शिक्षकों की कमी : दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने 28 फरवरी को हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर 21 हजार 833 अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने की अनुमति मांगी है। हाईकोर्ट के अक्तूबर, 2018 के आदेश के तहत इन शिक्षकों की सेवाएं 28 फरवरी को ही समाप्त हो गई। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि शिक्षा विभाग व डीएसएसएसबी नियमित तौर पर नियमित शिक्षकों की नियुक्ति का प्रयास करती रहती है, इसके बावजूद शिक्षकों की कमी बनी रहती है। सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि सेवानिवृति, स्वैच्छिक सेवानिवृत, मौत, प्रमोशन व छुट्टियों पर चले जाने के कारण 28 फरवरी, 2019 के बाद भी बड़े पैमाने पर शिक्षकों की जरूरत होगी। ऐसे में मौजूदा अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखने की अनुमति दी जाए।

इससे पहले हाईकोर्ट ने 23 मार्च,2018 को सरकार को सिर्फ 31 अक्तूबर,2018 तक ही अतिथि शिक्षकों की सेवाएं लेने की छूट दी थी। इसके बाद 31 मार्च, 2018 को दोबारा से सरकार को 28 फरवरी 2019 तक अतिथि शिक्षकों की सेवाएं लेने की अनुमति दे दी थी।

इसलिए अनुमति जरूरी

हाईकोर्ट ने 27 सितंबर, 2017 को सरकार को शैक्षणिक सत्र 2018-19 में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति व सेवाएं लेने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने मार्च में अर्जी दाखिल कर हाईकोर्ट से अक्तूबर, 2018 तक अतिथि शिक्षकों की सेवाएं लेने की अनुमति ली थी।

हाईकोर्ट ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) को यह बताने के लिए कहा है कि 10,591 नियमित शिक्षकों की भर्ती करने के लिए विज्ञापन कब तक जारी होंगे। हाईकोर्ट ने बोर्ड को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। डीएसएसएसबी को आड़े हाथ लेते हुए कोर्ट ने कहा कि 12 अप्रैल के आदेश के बाद भी इस बारे में जवाब क्यों नहीं दाखिल किया गया।

15 हजार शिक्षकों की नियुक्ति से अलग भर्ती

यह भर्तियां, सरकारी और नगर निगमों के स्कूलों के लिए चल रही करीब 15 हजार शिक्षकों की नियुक्ति से अलग है। गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिष्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने एक सप्ताह के भीतर डीएसएसएसबी को इन पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने का आदेश देने की मांग की थी। शिक्षा निदेशक विनय भूषण ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए नियमित शिक्षकों की नई भर्ती को मंजूरी दे दी गई है।