राजनाथ सिंह की इस कार्यशैली के विरोधी भी हैं कायल, जानें उनके बारे में

भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की पहचान एक कुशल प्रशासक के रूप में होती है। अपने सारे भाषण हिंदी में देने वाले राजनाथ सियासत के काफी माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं।

भाजपा में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अटल-आडवाणी के दौर में तो उनकी तूती बोलती ही थी, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भी वह भारत के गृहमंत्री हैं। उन्हें सुलझे हुए राजनेता के रूप में जाना जाता है। राजनाथ की खास बात यह है कि उनकी जितनी भाजपा में लोकप्रियता है, उतनी ही नजदीकियां संघ से भी हैं। विपक्षी दलों के कद्दावर नेताओं से भी उनके अच्छे रिश्ते माने जाते हैं। राजनाथ वाजपेयी और आडवाणी के बाद पार्टी के तीसरे ऐसे नेता हैं, जिन्हें दो बार भाजपा अध्यक्ष बनने का मौका मिला।

नकल पर नकेल के लिए सराहे गए: 1992 में उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री के तौर पर राजनाथ ने नकल अध्यादेश लागू कर दिया। इसमें नकलची विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत कोर्ट से मिलती थी। उस वर्ष हाईस्कूल में सिर्फ 14% और इंटरमीडिएट में मात्र 30% छात्र पास हुए। अगले विधानसभा चुनाव में वह हार गए। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 2000 में राज्यमंत्री अमरमणि त्रिपाठी का मंत्री पद छीनते हुए उन्हें गिरफ्तार करवाया था।

बीजेपी नेता राजनाथ सिंह के बारे में…

10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश के चंदौली में जन्म

गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी, मिर्जापुर में लंबे समय तक भौतिकी के लेक्चरर भी रहे

यूपी से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

1964 में 13 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े

1975 में भारतीय जनसंघ ने मिर्जापुर का जिला अध्यक्ष बनाया

1977 में पहली बार मिर्जापुर से विधायक चुने गए

1984 में भाजपा की युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बने

1986 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव घोषित किये गए

1988 में यूपी में विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए

1991 में प्रदेश के शिक्षामंत्री बने

2000 में उत्तर प्रदेश के सीएम चुने गए

2001 और 2002 में दो बार हैदरगढ़ से विधानसभा पहुंचे

केंद्र की राजनीति में ऊंचा मुकाम

1994 में भाजपा ने राजनाथ को राज्यसभा भेजा

1999 से 2000 तक केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री रहे

2003 में केंद्रीय कृषि मंत्री के पद पर काबिज हुए

2005 से 2009 तक भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला

2009 में गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव जीता

2013 में गडकरी के इस्तीफे के बाद दोबारा अध्यक्ष बने

2014 में लखनऊ से सांसद चुने गए, तब से गृहमंत्री भी हैं