राज्य पुलिस बनाम सीबीआईः क्या कहता है कानून

 

सारधा चिरफंट घोटाले के मामले में पशि्चम बंगाल के डीजीपी से पूछताछ करने रविवार को कोलकाता पहूंची सीबीआई की टीम के पांच अफसरों को राज्य पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इसके बाद सियासी पारा चढ़ गया है। अब सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को बहस शुरु हो चुकी है। संविधान के मुताबिक कानून और व्यवस्था राज्य सुची में आता है। इसलिए विधि व्यवस्था बनाये रखना राज्य की जिम्मेदारी है और किसी भी अपराध की जांच करने का अधिकार राज्य के पास है। संविधान में व्यवस्था है कि संध सूची में आने वाले मामलों के विषय में सीबीआई जांच कर सकती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय सीबीआई को किसी भी राज्य में जांच या छापेमारी के लिए आदेश दे सकती है।

सीबीआई के काम काज का तरीका दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिसमेंट एक्ट के तहत तय होता है। अधिनियम की धारा 5 तहत केंद्र सरकार निदिर्ष्ट अपराधों की जांच के लिए राज्यों तक अपनी शक्तियां और अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है। हालांकि यह शक्ति धारा 6 द्वारा प्रतिबंधित है। धारा 6 के अनुसार सीबीआई दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर किसी राज्य में उसकी अनुमति बिना केसों की छानबीन  नहीं कर सकती है। हालांकि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालयों का अधिकार है कि वह किसी भी केस की जांच किसी भी राज्य में करने का सीबीआई को आदेश दे सकते हैं। अगर कोई राज्य अनुमति नहीं देता और जांच और छापेमारी जरुरी है तो वह उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट से अनुमति देने के लिए कह सकती है।

इन मामलों में राज्य की अनुमति जरुरी नहीं

1 केंद्र के कर्मियों या केंद्र के मामलों व केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी बैंको के कर्मियों के खिलाफ अपराध के मामलों में

2 केंद्र सरकार के वित्तिय हितों से जुड़े मामले

3 भारत सरकार द्वारा लागू केंद्रीय कानूनों के उल्लंधन के मामले

4 बड़े पैमाने धोखाधड़ी या गवन या कई राज्यों में फैले संगठित अपराध के मामले और बहु-एजेंसी या अंतरराष्ट्रीय मामले 

भाजपा संवैधानिक तख्तापलट की योजना बना रही है । सीबीआई के 40 अधिकारियों ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त के घर को घेर लिया। संस्थानों को तबाह करना निरंतर जारी है। सोमबार को संसद में हमारी मांग है कि मोदी को जाना है। हम उन सभी विपक्षी पार्टियों से संपर्क कर रहे हैं। और उनके  साथ इसे साझा कर रहें  हैं।

डेरेक ओ बायन, टीएमसी

  सीबीआई भाजपा के दबाव में राजनितिक फैसले ले रही है। इससे राज्य सरकारों को ऐसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। लोकतंत्र में जनता से उपर कोई नहीं है।

        तेजस्वी यादव, राजद

सीबीआई अधिकारी पुलिस कमिश्नर के आवास पहुंच गए। न कोई वारंट न कोई पूछताछ के लिए कोई अधिकार। सीबीआई प्रमुख का जाते जाते स्वामीभक्ति का प्रदर्शन है।

अभिषेक मनु सिधवी, कांग्रेस

 ममता बनर्जी की सरकार संवैद्यानिक उपयुक्ता की दृष्टि खो चुकी है। लोग देख सकते हैं कि शासन प्रणाली, की शासन प्रणाली, लोकतंत्र और संविधान का मखौल उड़ाया जा रहा है।

                        नलिन कोहली,भाजपा

भाजपा की उत्पीड़नकारी नीतियों से संविधान और नागरिकों की आजादी खतरे में है। हम ममता बनर्जी के धरने का पूरा समर्थन करते हैं। लोग भाजपा को हराने को एकजुट है।

अखिलेश यादव, अध्यक्ष सपा

पश्चिम बंगाल की धटनाओं से चकित हूं। आपातकाल के वक्त भी ऐसे ही हालात देखने को मिले थे। पश्चिम बंगाल में भी आपातकाल जैसे हालात हैं।

एचडीदेवेगौड़ा, पूर्व प्रधानमंत्री

सीबीआई जो कर रही है वो चौकाने वाला है। हम इसकी भत्सर्ना करते हैं। हम ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं। वे देश में संविधान को बचाने के लिए लड़ रही है।

चंद्र बाबू नायडू, मुख्यमंत्री , आंध्रप्रदेश

घटनाक्रम हैरतअंगेज है। यह ममता बनर्जी के तानाशाह रवैये को दिखाता है। उन्होने संविधान के उल्लंधन किया है जिसकी उन्होने शपथ ली थी। नगर पुलिस की कारर्रवाई शीर्ष न्यायालय की अवज्ञा है ।

जीवीएल नरसिम्हा राव, भाजपा

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सीधे दे सकते हैं आदेश

17 फरबरी 2010 को उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों को संवैद्यानिक पीठ ने फैसला  दिया था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टेों को अधिकार है कि किसी राज्य के अनुमति के बगैर भी किसी राज्य में घटित अपराधिक मामले की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दे सकते हैं। पीठ का तर्क था कि नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता के रक्षक होने के नाते सामान्य रुप से संविधान के भाग-3 और विशेष रुप से संविधानके अनुच्छेद21 के तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के पास न केवल अधिकार क्षेत्र है, बल्कि मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व भी है।