वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर बवाल

महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव में इस साल की शुरुआत में भड़की हिंसा के मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर 5 कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इन लोगों के घरों से उनके लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेज़ ज़ब्त किए हैं. पुणे पुलिस का दावा है कि इस लोगों के तार कई बड़े नक्सलियों से जुड़े हो सकते हैं.

इस मामले में अब तक पुलिस ने हैदराबाद से कवि और वामपंथी बुद्धिजीवी वरवर राव, फ़रीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ़्तार किया है. वहीं ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से बर्नन गोनसालविस को हिरासक में लिया गया है. सुधा भारद्वाज नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक गेस्ट फ़ैकल्टी के रूप में पढ़ा रही हैं. हालांकि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फरीदाबाद से गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के ट्रांजिट रिमांड पर तीन दिन का स्टे लगा दिया है.

वहीं इसी मामले में पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार दलित एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिल गई, लेकिन यह राहत सिर्फ एक दिन के लिए है. हाईकोर्ट आज सुबह फिर नवलखा की याचिका पर सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट ने  साकेत कोर्ट की ओर से पुणे पुलिस को दी गई ट्रांजिट रिमांड पर एक दिन का स्टे लगा दिया. पुणे पुलिस ने नवलखा को गिरफ्तार करके साकेत कोर्ट में पेश किया था जिस पर कोर्ट ने 48 घंटे के ट्रांजिट रिमांड पर आरोपी नवलखा को भेज दिया था.

गिरफ्तार किए गए दलित एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिल गई है, लेकिन यह सिर्फ एक दिन के लिए है. हाईकोर्ट बुधवार सुबह फिर से नवलखा की याचिका पर सुनवाई करेगा.

इसी मामले की जांच आगे बढ़ी और पुणे पुलिस ने आज कई राज्यों में छापेमारी कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया औऱ दो लोगों को हिरासत में लिया है. पुणे पुलिस का दावा है की पकड़े गए आरोपियों के पास से पुलिस के कुछ अहम दस्ताबेज औऱ ई-मेल और मिले है.

पुणे पुलिस का दावा है कि इन सभी का हाथ 1 जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हुए हिंसा में है. पुलिस की जांच में पता चला कि भीमा-कोरेगांव कांड के पीछे नक्सलियों का हाथ है. जिसके बाद जून महीने में पुणे पुलिस ने मुंबई, नागपुर औऱ पुणे से पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. जिनके पास से पुलिस को कुछ अहम ई-मेल औऱ दस्तावेज मिले थे.

सीपीएम ने एक बयान जारी कर कहा है कि महाराष्ट्र पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां दलित कार्यकर्ता और वकीलों को भीमा कोरेगांव मामले में दलितों का केस लड़ने की वजह से निशाना बना रहीं हैं.

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में समाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस की गिरफ्तारी की वाम दलों और कांग्रेस ने निंदा की है

पुलिस ने माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखनेवाले कई जाने-मानेलोगों के घरों में छापेमारी की. इस दौरान उन्होंने कवि वरवरा राव और गौतम नवलखा को हिरासत में लिया है. इसके बाद वरवरा राव को पुलिस टीम गांधी अस्पताल ले गई, जहां से उन्हें पुणे ले जाकर मामले में पूछताछ की जाएगी. बता दें कि रोना जैकब विल्सन के घर से मिले पत्र के मामले में वरवरा राव की गिरफ्तारी के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सुधा भारद्वाज पर धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए प्रतिबद्ध वक्तव्य), 117 (दस या उससे ज्यादा लोगों को किसी आपराधिक गतिविधि के लिए उकसाना) और 120 के तहत आरोप लगाया गया है.