विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भारतीयों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है. विदेशों में रह रहे भारतीयों को जब कभी भी परेशानी हुई है तब-तब सुषमा स्वराज ने मदद का हाथ बढ़ाया है. सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में अम्बाला में हुआ था. राजनीति में आने से पहले सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के पद पर भी काम किया.
साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद सुषमा स्वराज को विदेशमंत्री का पद सौंपा गया. इस पद को संभालने के बाद से ही जब कभी भी विदेश में रह रहे किसी भारतीय को मदद की जरूरत पड़ी, सुषमा स्वराज ने हर मुमकिन कोशिश की. उन्होंने कई बार विदेशों में फंसे भारतीयों को सकुशल घर वापसी कराई है.
यमन में जब हाउथी विद्रोहियों और सरकार के बीच जंग छिड़ी तो हजारों भारतीय इस जंग के बीच में फंस गए. जंग लगातार बढ़ती जा रही थी और सऊदी अरब की सेना लगातार यमन में बम गिरा रही थी. इसी बीच यमन में फंसे भारतीयों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई.
यमन में फंसे भारतीयों के लिए सुषमा स्वराज ने ऑपरेशन राहत चलाया और ऑपरेशन के दौरान साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को बचाया गया. ये ऑपरेश इतना सफल रहा कि भारत ही नहीं यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को इस ऑपरेशन के जरिए ही सुरक्षित बचाया जा सका. इसमें से 4640 भारतीय थे.
इसी तरह दक्षिण सूडान में छिड़े सिविल वॉर में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वतन वापस लाने के लिए विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने ऑपरेशन संकटमोचन की शुरुआत की. इस ऑपरेशन के तहत दक्षिण सूडान में फंसे 150 से ज्यादा भारतीयों को बाहर निकाला गया. इसमें 56 लोग केरल के शामिल थे
लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग में भी कई भारतीय वहां फंस गए थे. लीबिया से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की तैयारी तेज की गई और 29 भारतीयों को सुरक्षित भारत लाया गया. हालांकि इस दौरान एक भारतीय नर्स और उसके बेटे की मौत हो गई.
सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद 15 साल पहले भटककर सरहद पार पाकिस्तान पहुंच गई 8 साल की मासूम गीता को भारत लाया जा सका. गीता जब भारत लौटी तब उसकी उम्र 23 साल हो चुकी थी. गीता भारत आने के बाद सबसे पहले विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से मिली.
कुछ ऐसा ही कोलकाता की जूडिथ डिसूजा केस में भी हुआ. जूडिथ को 9 जून को काबुल से अगवा कर लिया गया था. सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद अफगान अधिकारियों ने जूडिथ की रिहाई सुनिश्चित करवाई.