3 ऑस्कर जीतने वाला ये शख़्स विश्व का सबसे महान एक्टर

सिनेमा के इतिहास में सबसे महान एक्टर कौन है? अक्सर इस सवाल पर लोगों की अलग राय होती है. भारत में कई लोग अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, मनोज वाजपेयी, दिलीप कुमार जैसे कलाकारों को सर्वश्रेष्ठ का दर्जा देते रहे हैं वहीं हॉलीवुड में मॉर्लन ब्रैंडो, रॉबर्ट डि नीरो और अल पचीनो जैसे सितारों को महानतम का दर्जा मिलता रहा है. ऐसी बहसों का कोई अंत नहीं है हालांकि अगर ऑस्कर अवॉर्ड को महानता का पैमाना माना जाए तो यकीनन इस लिस्ट में सबसे ऊपर डेनियल डे लुईस होंगे.

डेनियल वही ब्रिटिश एक्टर हैं जिन्हें राजकुमार राव अपना आदर्श मानते हैं. आज भले ही फिल्मों के क्षेत्र में मेथड एक्टिंग एक कॉमन शब्द हो गया हो और भारत में खुद राजकुमार राव समेत कई सितारे मेथड एक्टिंग में विश्वास करने लगे हों, लेकिन इस विधा का उदय करने वाले और इस कॉन्सेप्ट को लोकप्रिय बनाने में डेनियल का ही हाथ है. अपने रोल के लिए पागलपन की हद पार कर देने वाले इस एक्टर ने अपने जीवन में बेहद कम फिल्में की हैं लेकिन ये उनकी एक्टिंग के प्रति समर्पण का ही असर है कि वे बेस्ट एक्टर के तौर पर अपनी तीन ऑस्कर अवॉर्ड्स जीत चुके हैं. ऑस्कर के इतिहास में कोई भी एक्टर तीन से ज्यादा ऑस्कर नहीं जीत पाया है. वे अपने कैरेक्टर के लिए किस हद तक जा सकते हैं, पेश है उनकी मेथड एक्टिंग के कुछ अंश-

1989 में फिल्म माइ लेफ्ट फुट के लिए उन्होंने पहला ऑस्कर जीता था. ये फिल्म एक आयरिश पेंटर और लेखक की जि़ंदगी पर थी जिसे सेरेब्रल पाल्सी नाम की बीमारी होती है. फिल्म के लिए डेनियल की हैरतअंगेज़ हरकतों से फिल्म का क्रू तक परेशान हो गया था. उन्होंने पूरी फिल्म की शूटिंग के दौरान अपनी व्हीलचेयर से नहीं उठने का निर्णय किया था. उन्हें रोजाना कार से व्हीलचेयर में उठाया जाता और ले जाया जाता था. उन्हें चम्मच से खाना खिलाया जाता था. उन्होंने इस फिल्म के लिए अपने पैरों की उंगलियों से पेंट करना और लिखना सीखा था और 8 हफ्ते सेरेब्रल पाल्सी क्लीनिक में बिताए थे.

18वीं शताब्दी के बैकड्रॉप पर आधारित फिल्म ‘द लास्ट ऑफ द मोहिकन्स’ (1992) के लिए डेनियल ने शिकार करना सीखा था और जानवरों की चमड़ी उतारनी सीखी थी. वे कुल्हाड़ियों से लड़ते थे वे पूरी फिल्म के दौरान अपने कंधे पर एक भारी बंदूक लेकर चलते थे. यहां तक कि जब वे क्रिसमस डिनर पर अपनी फैमिली के पास पहुंचे थे तब भी उनके कंधे पर ये बंदूक मौजूद थी. इसके अलावा उन्होंने एक फिल्म के लिए चेक भाषा सीखी थी जबकि वो फिल्म इंग्लिश में ही थी. वे इस फिल्म की 8 महीनों की शूटिंग के दौरान पूरी तरह से कैरेक्टर में ही रहते थे.

1993 में आई फिल्म ‘इन द नेम ऑफ फादर’ के लिए उन्होंने 22 किलो वजन घटाया था. तीन रातें बिना खाने और पानी के बिताई थी. इसके बाद स्पेशल ब्रांच की तीन टीमों ने लगातार उनके साथ 9 घंटों तक बिना रुके पूछताछ की थी. कई बार फिल्म से जुड़े लोग उनके मुंह पर पानी फेंक कर मार देते थे ताकि फिल्म के इंटेरोगेशन वाले सीन्स में वास्तविकता बनी रहे.

अपने थियेटर करियर के दौरान वे लंदन में परफॉर्म कर रहे थे. इस प्ले के बीच में ही डे लुईस बुरी तरह रोने लगे थे और ये प्ले छोड़ कर चले गए थे. इसके बाद उन्होंने थियेटर एक्टिंग को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. एक इंटरव्यू में उन्होंने इस घटना के बारे में बताया था कि उन्हें ये फैसला इसलिए किया था क्योंकि एक सीन के दौरान उन्हें अपने मृत पिता दिखाई दिए थे. ये प्ले शेक्सपियर के मशहूर प्ले हैमलेट पर आधारित था. वही हैमलेट जिस पर विशाल भारद्वाज ने फिल्म हैदर बनाई थी.

17वीं शताब्दी में आधारित फिल्म क्रूसिबल (1996) की शूटिंग के लिए उन्होंने कई दिनों तक नहाने से मना कर दिया था क्योंकि वे उस दौर में रहने वाले लोगों की साफ-सफाई के हिसाब से रहना चाहते थे. उन्होंने इस फिल्म के लिए अपने घर को उसी दौर के औजारों के द्वारा खुद से निर्माण किया था और वे यहां बिना पानी और बिजली के कई दिनों तक रहे थे.

1997 में आई फिल्म द बॉक्सर के लिए डेनियल ने 18 महीनों की कड़ी ट्रेनिंग की थी. उनके ट्रेनर ने बताया था कि डेनियल चाहे कि इन डेढ़ सालों की ट्रेनिंग के बाद वे लगभग एक प्रोफेशनल बॉक्सर बन चुके थे.

साल 2002 में आई फिल्म गैंग्स ऑफ न्यूयॉर्क में उन्होंने कसाई बनने की ट्रेनिंग ली थी और वे हमेशा कैरेक्टर में रहते थे. वे सिर्फ न्यूयॉर्क एक्सेंट में बात करते थे और सर्द हालातों में शूट के दौरान भी उन्होंने एक गर्म जैकेट पहनने से मना कर दिया था क्योंकि उनके मुताबिक वो जैकेट उस टाइम पीरियड की नहीं थी. इसके चलते उन्हें निमोनिया हो गया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने