दोस्त या रिश्तेदार के लिए गारंटर बनने वाले भी हुए डिफॉल्टर, खराब हुआ सिविल रिकॉर्ड

(hdnlive) बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में गारंटर बनने का परिणाम अब उनके दोस्तों व रिश्तेदारों को भुगतना पड़ रहा है। अब गारंटरों को भी डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया गया है। इससे उन्हें भी भविष्य में ऋण नहीं मिल सकेगा। इससे गारंटरों का सिविल रिकॉर्ड भी खराब हो रहा है।

शहर के विभिन्न बैंकों ढ़ाई लाख से अधिक लोगों ने ऋण प्राप्त किया हुआ था। कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण 24 हजार से अधिक लोग समय पर किश्त जमा नहीं कर सके। इस वजह से विभिन्न बैंकों ने 24 हजार लोगों को डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया और रिकवरी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।

इसके साथ ही ऋणकर्ताओं के गारंटरों को भी डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया गया। इससे गारंटरों का भी सिविल रिकॉर्ड खराब हो रहा है और उन्हें भी भविष्य में किसी भी बैंक से ऋण नहीं मिल सकेगा। इस तरह 24 हजार ऋणकर्ताओं के 48 हजार गारंटर भी डिफॉल्टर हो गए। अब 72 हजार लोग डिफॉल्टर हो गए है।

डिफॉल्टर होने का सबसे ज्यादा परिणाम गारेंटरों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें दोस्ती और रिश्तेदारी निभारी भारी पड़ गई। अब गारंटर चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। संबंध खराब होने के डर से डिफॉल्टर को पैसा जमा करने के लिए भी दबाव नहीं बना पा रहे हैं।

सेक्टर-72 में रहने वाले सुदेश सिंह ने बताया कि वह दोस्त के ऋण में गारंटर बन गए थे। उन्हें नहीं पता था कि उनका दोस्त समय पर किश्त जमा नहीं कर पाने की वजह से डिफॉल्टर हो जाएगा। दोस्त के डिफॉल्टर होने की वजह से अब उन्हें भी बैंक ने डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया है। सुदेश सिंह को अपने आपको डिफॉल्टर होने की जानकारी तब मिली, जब उन्होंने बैंक में ऋण के लिए आवेदन किया।

कोरोना ने बनाया डिफॉल्टर

निजी बैंक से ऋण प्राप्त करने वाले खुदरा कारोबारी डीडी वर्मा ने बताया कि व्यापार शुरू करने के लिए बैंक से 38 लाख रुपये का ऋण लिया था। कारोबार शुरू करने के छह महीने बाद ही कोरोना की पहली लहर आ गए। पूरा कारोबार ठप हो गया। कारोबार ठप होने की वजह से आय नहीं हो सकी और किश्त भी जमा नहीं कर सके। अब उनके साथ-साथ उनके दोस्त व रिश्तेदार को भी डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया गया है।

जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक वेद रतन ने कहा, ‘समय पर किस्त जमा नहीं होने की वजह से 24 हजार से अधिक लोगों को डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया है। अब उनसे रिकवरी की प्रक्रिया की जा रही है। इसके साथ ही उनके गारंटरों भी डिफॉल्टर सूची में शामिल कर दिया गया है। अब उन 48 हजार लोगों को भी भविष्य में ऋण नहीं मिल सकेगा।’