FTF में पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका

पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की बैठक में तगड़ा झटका लगा है। बैठक में वह अलग-थलग पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। अब एफएटीएफ उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। पाकिस्तान आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोकने और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। जिसकी वजह से उसे डार्क ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है। उसे सुधरने की अंतिम चेतावनी दी गई है। एफएटीएफ की बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों का कहना है कि ऐसे संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई न करने की वजह से सभी सदस्यों द्वारा अलग-थलग कर दिया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान 27 में से केवल छह प्वाइंट पर खरा उतरा है। इसीलिए एफएटीएफ उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। पाकिस्तान पर 18 अक्तूबर को अंतिम फैसला आएगा।

पाकिस्तान को मदद की आस

केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया तो पाकिस्तान बौखला गया। उसने दुनिया के कई मंचों पर भारत के खिलाफ जहर उगला। उसके नेता एफएटीएफ पर समर्थन जुटाने में लगे हुए थे लेकिन इसका कोई फायदा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। यदि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाता है तो उसकी पहले से ही बदहाल अर्थव्यवस्था पूरी तरह से धराशायी हो जाएगी। उसे तुर्की, मलयेशिया और चीन से मदद की उम्मीद थी लेकिन उन्होंने उससे किनारा कर लिया है।

ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच है डार्क ग्रे श्रेणी

एफएटीएफ के नियमानुसार ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच डार्क ग्रे श्रेणी होती है। डार्क ग्रे का मतलब सख्त चेतावनी होता है। जिससे कि संबंधित देश को खुद में सुधार करने का आखिरी मौका मिल सके। यदि पाकिस्तान को इस श्रेणी में डाला जाता है तो यह उसके लिए सख्त चेतावनी होगी कि वह खुद को सुधार ले वर्ना उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।

जून 2018 में डाला था ग्रे लिस्ट में नाम

एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था और उसे 27 प्वॉइंट का एक्शन प्लान देते हुए एक साल का समय दिया गया था। जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की टेरर फाइनेंसिंग को बैंकिंग व नॉन-बैंकिंग, कॉर्पोरेट व नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टरों से रोकने के उपाय करने थे।

क्या है एफएटीएफ

एफएटीएफ यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Finacinal Activity Assignment Force)। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (Illegal tax avoidance), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी गतिविधियों पर नजर रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ के निर्णय लेने वाले निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार होती है।

क्या करता है एफएटीएफ

एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है।

अक्तूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया।

जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।

एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है।

इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने के उपायों की समीक्षा करता है।

इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।