Budget 2022: हेल्थकेयर सेक्टर को मजबूत करने पर जोर,की बड़ी घोषणा

Hdnlive|Budget 2022-2023: कोरोना महामारी की लहरों के सामने हमारा स्वास्थ्य ढांचा एक मजबूत ढाल बनकर खड़ा रहा. दुनिया में आई भयावह चुनौती से निपटने में भारत का हेल्थकेयर सेक्टर (Healthcare sector)संकटमोचक बनकर उभरा है. हालांकि, इस दौरान कई चुनौतियां भी आई हैं. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास को लेकर कई बड़ी घोषणा की हैं.

वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना का तोहफा देते हुए स्वास्थ्य बजट में 135 प्रतिशत का इजाफा करने का ऐलान किया है. इसे 94 हजार से बढ़ा कर 2.38 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में अगले 6 सालों में करीब 61 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. सीतारमण ने कहा कि 112 आकांक्षी जिलों में से 95 प्रतिशत ने स्वास्थ्य, अवसंरचना में महत्वपूर्ण प्रगति की है.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपना चौथा केंद्रीय बजट पेश करते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा- “हम कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की लहर के बीच में हैं. कोरोना की इस तीसरी लहर से निपटने में हमारे टीकाकरण अभियान की गति ने बहुत मदद की है. पिछले दो वर्षों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार के साथ, हम चुनौतियों का सामना करने की मजबूत स्थिति में हैं. मुझे विश्वास है कि सबका प्रयास के साथ हम मजबूत विकास की अपनी यात्रा जारी रखेंगे. “

टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण देश में मानसिक बीमारियां बढ़ी हैं. आज मानसिक समस्याओं से हर उम्र के लोगों को जूझना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अच्छी मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (Public Tele Mental Health program) शुरू किया जाएगा. इसमें उत्कृष्टता के 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क शामिल होगा, जिसमें निमहंस नोडल केंद्र होंगे और IIIT बैंगलोर तकनीकी सहायता प्रदान करेगा.

नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम (Public Digital Health Ecosystem)
निर्मला सीतारमण ने कहा कि नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम के लिए एक खुला मंच शुरू किया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की डिजिटल रजिस्ट्रियां, विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी की पहुंच शामिल होगी.

75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर खोले जाएंगे
देश में 75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर औऱ खोले जाएंगे. देश के सभी जिलों में जांच केंद्र और 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल खोले जाएंगे. इसके साथ ही न्यूटिशन पर फोकस किया जाएगा और जल जीवन मिशन (अर्बन) भी लॉन्च किया जाएगा. 500 अमृत शहरों में सैनिटाइजेशन पर फोकस किया जाएगा. स्वच्छता के लिए करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 पर अगले 5 सालों में एक लाख 41 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके साथ ही 2 हजार करोड़ रुपये सिर्फ स्वच्छ हवा के लिए किया जाएगा.

कोविड के इलाज पर राहत
बजट में उन लोगों को राहत दी गई है, जिन्हें कोविड 19 के इलाज पर हुए खर्च के लिए पैसा मिला है. इसी तरह किसी व्यक्ति की मौत पर परिवार के सदस्यों को मिलने वाले पैसे पर परिवार के सदस्यों के लिए 10 लाख तक की छूट होगी. (Charge alleviation Covid treatment costs)

हेल्थकेयर की क्वॉलिटी सुधारने पर जोर
गौरतलब है कि भारत में अब भी हेल्थकेयर की क्वॉलिटी और पहुंच दुनिया के 180 देशों की लिस्ट में 145वें नंबर पर आती है. नेशनल हेल्थ पॉलिसी के मुताबिक, 2025 तक पब्लिक हेल्थ पर देश की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत रकम खर्च होनी चाहिए, लेकिन 2020-21 में यह 2 प्रतिशत से भी कम था. भारत इस मामले में दुनिया के सबसे खराब परफॉर्म करने वाले देशों में शामिल है. नतीजा यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च का दो तिहाई हिस्सा अभी मरीज अपनी जेब से खुद भरते हैं. एक अनुमान के मुताबिक जब स्वास्थ्य पर जीडीपी का 3 प्रतिशत हिस्सा खर्च होगा तो मरीज की जेब से खर्च का हिस्सा एक तिहाई ही रह जाएगा.