OBC आयोग : संवैधानिक दर्जा देनेवाले विधेयक को संसद की मंजूरी

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। राज्यसभा ने सोमवार को इससे संबंधित संविधान (123वां संशोधन) विधेयक 2017 को 156 के मुकाबले शून्य मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। संविधान संशोधन होने के नाते विधेयक पर मत विभाजन किया गया, जिसमें सभी 156 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यों के अधिकारों का हनन होने के संबंध में कुछ सदस्यों ने जो आशंका व्यक्त की है, वह निर्मूल है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की केंद्रीय और राज्य सूची एक समान होती है लेकिन ओबीसी के मामले में यह अलग-अलग है।
उन्होंने कहा कि राज्य अपने लिए ओबीसी जातियों पर निर्णय करने को लेकर स्वतंत्र हैं। इस विधेयक के कानून बनने के बाद यदि राज्य किसी जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल करना चाहते हैं तो वे सीधे केंद्र या आयोग को भेज सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं आश्वस्त करता हूं कि आयोग की सिफारिशें राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं होंगी।’ भारत के संविधान का और संशोधन करने वाले, लोकसभा द्वारा यथापारित तथा संशोधन के साथ राज्यसभा द्वारा लौटाए गए विधेयक में पृष्ठ एक की पंक्ति एक में ‘68वें’ के स्थान पर ‘69वें’ शब्द प्रतिस्थापित करने की बात कही गई है।

इसमें कहा गया है कि खंड तीन के पृष्ठ 2 और पृष्ठ 3 तथा खंड 3 के स्थान पर राज्यसभा द्वारा किए गए संशोधनों में पृष्ठ 2 और 3 पर निम्नलिखित संशोधन स्थापित किया जाए- संविधान के अनुच्छेद 338 (क) के बाद नया अनुच्छेद 338 (ख) स्थापित किया जाएगा। इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक नया आयोग होगा।

विधि के उपबंधों के तहत आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें एवं पदावधि ऐसी होगी, जो राष्ट्रपति द्वारा तय की जाएंगी। आयोग के पास अपनी प्रक्रिया विनियमित करने के अधिकार होंगे। आयोग को संविधान के अधीन सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए उपबंधित सुरक्षा उपाय से संबंधी मामलों की जांच और निगरानी करने का अधिकार होगा। इसके अलावा आयोग पिछड़े वर्गों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और सलाह देगा। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक पूर्व में लोकसभा में पारित हुआ था और राज्यसभा ने इसे कुछ संशोधनों के साथ पारित किया।