Ram Janam Bhumi Judge : राम जन्मभूमि पर निर्णय देने वाले जज का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली (hdnlive) : Ram Janam Bhumi Judge साल 2010 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अहम फैसला सुनाने वाली इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad high court) की पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधीर अग्रवाल ने दावा किया कि उन पर निर्णय नहीं देने का दबाव था। कहा कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो अगले 200 वर्षों तक इस मामले में कोई फैसला नहीं होता। न्यायमूर्ति अग्रवाल 23 अप्रैल 2020 को उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हो गए।

घर के अंदर भी दबाव था और बाहर से भी

एक निजी कार्यक्रम में अग्रवाल ने कहा कि फैसला सुनाने के बाद मैं धन्य महसूस कर रहा था, मुझ पर मामले में फैसला टालने का दबाव था। घर के अंदर भी दबाव था और बाहर से भी। परिवार और रिश्तेदार सभी सुझाव देते रहे थे कि वह किसी तरह समय कटने का इंतजार करें और खुद फैसला न दें।

अगले 200 साल तक भी फैसला नहीं हो पाता

उनका यह भी कहना है कि अगर 30 सितंबर 2010 को वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला न सुनाते तो इसमें अगले 200 साल तक भी फैसला नहीं हो पाता। तीस सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था, जिसके तहत अयोध्या में स्थित 2.77 एकड़ भूमि को समान रूप से तीन हिस्सों में विभाजित किया जाना था और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और एक हिस्सा ‘राम लला’ को दिया जाना था।

नवंबर 2019 में एक ऐतिहासिक फैसले
पीठ में न्यायमूर्ति एस यू खान, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति डी वी शर्मा शामिल थे। नवंबर 2019 में एक ऐतिहासिक फैसले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अयोध्या में विवादित भूमि पर मंदिर बनाया जाएगा और सरकार को मुस्लिम पक्षकारों को कहीं और पांच एकड़ का भूखंड देने का आदेश