WHO का दावा : भारत में कोरोना से बच्चों को बचाने में गेम चेंजर साबित होगी स्वदेशी Nasal Vaccine

(hdnlive) भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जारी है। तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है। इस संभावित लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि इस बीच राहत की खबर यह आ रही है के देश में नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। World Health Organization की chief scientist सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में जो Nasal vaccine बन रही है, वह बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। हालांकि इसके इस साल उपलब्ध होने की संभावना नहीं है।

hdnlive न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बाल रोग विशेषज्ञ स्वामीनाथन ने कहा, “भारत में बनने जा रही नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। इसे लगाना काफी आसान होगा। इसके साथ ही बच्चों की सांस की नली को प्रतिरक्षा प्रदान करेगी।”

जोखिम कम तभी खोले जाएं स्कूल

हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि तब तक अधिक से अधिक वयस्कों, विशेषकर शिक्षकों को टीकाकरण की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जब कोरोना का सामुदायिक प्रसारण का जोखिम कम हो, तभी स्कूलों को खोला जाए। डब्ल्यूएचओ के शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा, “मुझे बहुत उम्मीद है कि आखिरकार हमारे पास बच्चों के लिए टीका होगा। लेकिन इस साल ऐसा नहीं होने जा रहा है, और सामुदायिक प्रसारण कम होने पर हमें स्कूल खोलना चाहिए। बाकी देशों ने अन्य सावधानियों के साथ यही किया है। अगर शिक्षकों को टीका लगाया जाता है, तो यह एक बड़ा कदम होगा।”

बच्चे संक्रमण से सुरक्षित नहीं, लेकिन प्रभाव कम: केंद्र

केंद्र ने शनिवार को कहा कि बच्चे संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन जोर देकर कहा कि प्रभाव कम से कम है। नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “अगर बच्चे कोविड से प्रभावित होते हैं, तो या तो कोई लक्षण नहीं होंगे या कम से कम लक्षण होंगे। उन्हें आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।”

बच्चों को संक्रमण से बचाना भी बहुत जरूरी

बच्चों में कोविड-19 के बारे में पॉल ने कहा कि 10 से 17 वर्ष के बच्चों में सीरोपॉजिटिविटी की दर अमूमन वही है जो 30 से 40 वर्ष के लोगों के बीच है और बच्चों में भी संक्रमण हो सकता है। उन्होंने कहा, ”जब बच्चों में संक्रमण होता है तो लक्षण न्यूनतम होते हैं। बहुत मध्यम स्तर का संक्रमण होता है या लक्षण नहीं के बराबर होते हैं। संक्रमण बहुत कम होने के कारण उनमें मृत्यु दर भी बहुत कम है।” उन्होंने कहा, ”बच्चों में कोविड बीमारी को लेकर प्रोटोकॉल है। बच्चों को संक्रमण से बचाना भी काफी जरूरी है ताकि वे संचरण श्रृंखला का हिस्सा नहीं बनें।”

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राज्य और जिला अधिकारियों के साथ बैठक में युवाओं और बच्चों में संक्रमण के संचरण और गंभीरता पर डेटा एकत्र करने के लिए कहा था। स्वामीनाथन ने कहा, “कई वैक्सीन डेवलपर्स हैं जिन्होंने पहले ही अपने बाल चिकित्सा परीक्षण शुरू कर दिए हैं, जैसे फाइजर वैक्सीन अब 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए स्वीकृत है और छोटे बच्चों में परीक्षण चल रहे हैं। उम्मीद है कि एक दो महीने में फाइजर और मॉडर्न वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी। ” फाइजर ने सितंबर में 2 से 11 साल के बच्चों के लिए अमेरिका में आपातकालीन प्राधिकरण लेने की भी योजना बनाई है, और 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में मॉडर्ना के क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम वर्ष के अंत तक अपेक्षित हैं।