नेपाल ने भारतीय सेना प्रमुख के बयान पर जताई नाराजगी, बताया देश का अपमान

चीन की गोद में खेल रहे नेपाल ने भारतीय सेना प्रमुख द्वारा इशारों-इशारों में बयां की गई सच्चाई को देश के इतिहास का अपमान बताया। नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने कहा कि भारतीय सेना प्रमुख ने राजनीतिक बयान दिया, जो उचित नहीं है।

सेना प्रमुख ने किया देश का अपमान

एक नेपाली अखबार को दिए गए इंटरव्यू में रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने कहा कि भारतीय सेना प्रमुख ने नेपाली गोरखा जवानों की भावनाओं को भी आहत किया है। वो भारत की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या भारतीय सेना प्रमुख का राजनीतिक बयान देना पेशेवर है? हमारे यहां ऐसा नहीं होता। नेपाली सेना ऐसे मामलों पर नहीं बोलती।

जनरल नरवणे ने कहा था

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संकेत देते हुए कहा था कि नेपाल के लिपुलेख मुद्दा उठाने के पीछे कोई विदेशी ताकत हो सकती है। जनरल नरवणे ने कहा था, “मुझे नहीं पता कि असल में वे किस लिए गुस्‍सा कर रहे हैं। पहले तो कभी प्रॉब्‍लम नहीं हुई, किसी और के इशारे पर ये मुद्दे उठा रहे हों, यह एक संभावना है।”

लगातार बढ़ रहा चीनी दखल

चीन का नाम भले ना लिया गया हो मगर नेपाल में उसका दखल किसी से छिपा नहीं है। नेपाल के राजदूत ने भी कहा कि काली नदी के ईस्ट साइड का एरिया उनका है इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। आर्मी चीफ ने कहा था कि जो रोड बनी है वह नदी के पश्चिम की तरफ बनी है। तो मुझे नहीं पता कि वह असल में किस चीज को लेकर विरोध कर रहे हैं।

नेपाल – भारत के रिश्‍तों में दरार?

पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई थी। इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्‍यावली ने भारत के राजदूत विनय मोहन क्‍वात्रा को तलब कर लिया था।