पहले दलित महामंडलेश्‍वर बनेंगे संत कन्हैया प्रभु

देशभर में दलितों को लेकर चल रहे संग्राम और उत्‍पीड़न के आरोपों के बीच तीर्थ नगरी प्रयाग में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने दलित समुदाय से संन्यास लेकर संत बने कन्हैया प्रभु नंद गिरी को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया है। उन्हें कुंभके दौरान महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। सोमवार को कन्हैया प्रभु को परंपरा के अनुसार जूना अखाड़े में शामिल किया गया

अखाड़ा परिषद के अनुसार, उनके इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी दलित समुदाय से आने वाले संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी। इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ संतों को महामंडलेश्वर बनाया जा चुका है। आजमगढ़ जिले की बरौली दिवाकर पट्टी (लक्ष्मणपुर) गांव के रहने वाले कन्हैया कुमार कश्यप ने ज्योतिष शास्त्र में शिक्षा हासिल करने के बाद काफी पहले संसारिक दुनिया को अलविदा कह दिया था।

‘कन्हैया प्रभु एक बड़े संत हैं’
उज्जैन कुंभ के दौरान 22 अप्रैल 2016 को उन्हें विधिवत गोसाई साधु की दीक्षा जगद्गुरु पंचानंद गिरी जी महाराज ने दी थी। गोसाई साधु की दीक्षा के बाद उन्हें नया नाम कन्हैया प्रभु नंद गिरि मिला। फिलहाल कन्हैया प्रभु नंद गिरि पंजाब में रहते हैं और उनके शिष्यों की संख्या भी काफी अधिक है। सोमवार को वह जब इलाहाबाद पहुंचे तो उन्हें विधिवत जूना अखाड़ा में शामिल कर लिया गया।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि कन्हैया प्रभु एक बड़े संत हैं और इसे देखते हुए ही उन्हें जूना अखाड़े में शामिल किया गया है। 2019 में प्रयाग में लगने वाले कुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है । कुंभ में ही उनका पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

बता दें, वैसे तो संत की कोई जाति नहीं होती लेकिन कन्हैया प्रभु दलित समुदाय से निकलकर संत बने हैं और देश में यह पहला मौका होगा जब दलित समुदाय से संत बने किसी महात्मा को महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाएगी। इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया है। महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि इस फैसले से देश भर में सामाजिक समरसता की दिशा में सुखद संदेश जाएगा।