Christmas : पढ़ें क्रिसमस ट्री के इतिहास की रोचक बातें

25 दिसंबर को दुनिया भर में क्रिसमस मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और क्रिसमस ट्री अपने घर लाते हैं। क्या आपको पता है कि क्रिसमस ट्री की परंपरा कहां से आई। आइए आज हम क्रिसमस ट्री का इतिहास और इससे जुड़ीं रोचक बातें जानते हैं…

  • ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से पहले भी क्रिसमस ट्री जैसे लगने वाले एवरग्रीन ट्री का काफी महत्व था
  • 16वीं सदी में जर्मनी में क्रिसमस ट्री लोकप्रिय हुआ और वहां से यह दुनिया के बाकी देशों में पहुंचा
  • इसकी मार्केटिंग 1851 में शुरू हुई जब अमेरिका के एक व्यापारी ने पहली बार बाजार में इसे पहुंचाया

ईसाई धर्म से पहले का इतिहास

हिस्ट्री डॉट कॉम चैनल के मुताबिक,ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से काफी पहले से एवरग्रीन यानी साल भर हरे रहने वाले पौधे और पेड़ों का लोगों के जीवन में काफी महत्व था। वे अपने घरों को उन पेड़ों की डालियों से सजाते थे। उनका मानना था कि ऐसा करने से जादू-टोने का असर नहीं होता है, बुरी आत्माएं, भूत-प्रेत और बीमारियां दूर रहती हैं। प्राचीन मिस्र और रोम के लोग एवरग्रीन पौधों की ताकत और खूबसूरती पर यकीन करते थे।

सेंट बोनीफेस

क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक कहानी 722 ईस्वी की है। ऐसी मान्यता है कि जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चल गया कि कुछ दुष्ट लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे। सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया। उसी ओक ट्री की जड़ के पास एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया। उसके बाद सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि वह एक पवित्र वृक्ष है। उन्होंने बताया कि पेड़ की डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं। इससे उस पेड़ को लेकर लोगों के मन में काफी सम्मान पैदा हुआ।

जर्मनी को श्रेय

वैसे जर्मनी को क्रिसमस ट्री की परंपरा को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। लोग इसे 16वीं सदी के महान ईसाई धर्म सुधारक मार्टिन लूथर से भी जोड़ते हैं लेकिन यह प्रमाणित नहीं है। इस कहानी के मुताबिक, करीब 1500 ईस्वी में क्रिसमस की एक पूर्व संध्या वह बर्फ से ढंके जंगल होकर गुजर रहे थे। उन्होंने बर्फ से चमकते पेड़ को देखा। पेड़ की डालियां बर्फ से भरी थीं और चांद की रोशनी में चमक रही थी। जब वह घर आए तो अपने घर पर सनोबर का एक पेड़ लगाया और उसे छोटे कैंडल से सजाया। उन्होंने पेड़ को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में प्रकाशित किया था, तब से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा शुरू हो गई।

अमेरिका में क्रिसमस ट्री

अमेरिका में भी क्रिसमस ट्री का संबंध जर्मनी से ही है। अमेरिका में इसका इतिहास साल 1830 से मिलता है। जब जर्मनी के लोग अमेरिका में गए तो अपने साथ यह परंपरा ले गए। अमेरिका के पेनिसिल्वानिया में सबसे पहले क्रिसमस ट्री की परंपरा शुरू हुई।

इंग्लैंड में क्रिसमस ट्री

इंग्लैंड में भी क्रिसमट ट्री परंपरा जर्मनी के रास्ते ही पहुंची है। इंग्लैंड में इसे फैलाने का श्रेय क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट को जाता है। प्रिंस अल्बर्ट जर्मन के रहने वाले थे। 1848 में उन्होंने विंडसर केसिल में पहला क्रिसमस ट्री लगाया। तब से पूरे इंग्लैंड में क्रिसमस ट्री की परंपरा चल निकली।

1851 में क्रिसमस ट्री की मार्केटिंग

क्रिसमस ट्री की मार्केटिंग का श्रेय न्यू यॉर्क के एक व्यापारी को जाता है। उसने अपने बागान से दर्जनों फर और स्प्रूस के पेड़ काटे और न्यू यॉर्क की वॉशिंगटन मार्केट में बेचने के लिए पहुंचा दिया। तब से बाजार में क्रिसमस ट्री का बिकना शुरू हुआ और क्रिसमस ट्री की पैदावार ने एक इंडस्ट्री का रुप ले लिया।

पेड़ की सजावट

जर्मन मूल के अमेरिकी निवासी अपने पेड़ों को सजाने के लिए सेब, नट और मारजिपन कूकी का इस्तेमाल करते थे जबकि अन्य अमेरिकी घरेलू बनी चीजों का इस्तेमाल करते थे।