शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद ने नगर के मीर मासूम अली इमामबाड़ा कटरा में एक मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इस्लाम में मर्दों को एक भी निकाह करने की इजाजत नहीं’ है। एक मर्द चार औरतों से निकाह नहीं करता, बल्कि सच तो यह है कि चार औरतें एक मर्द से निकाह करती हैं।
जब तक किसी के बारे में पूरा इल्म न हो तब तक उस पर उंगली नहीं उठाना चाहिए। इस्लाम में पहले प्रैक्टिकल है, बाद में थ्योरी है। रसूल ने चालीस साल प्रैक्टिकल करके पहले दिखाया बाद में थ्योरी के रूप में दुनिया में कुरआन आया। इस्लामी जिंदगी के लिए अमली नमूना जरूरी है। वर्ना इस्लाम का नतीजा भी वही होगा जो कम्युनिज्म का हुआ। मजलिस से कुछ शायरों ने अपने आशार पढ़े। इसमें रजा मोरांवी ने पढ़ा- शहादतों का समर भी अजब समर है रजा, मैं जिससे तोड़ा गया था उसी से जोड़ा गया।