वायु प्रदूषण नियंत्रण न करने पर एनजीटी ने उत्तर रेलवे पर लगाया 71 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना

नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर उत्तर रेलवे पर 71 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने विशेषज्ञों की कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद ये आदेश दिया।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर रेलवे ने शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर वायु प्रदूषण को रोकने और मजदूरों की स्वास्थ्य जांच के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया। एनजीटी ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित है जिस पर कार्रवाई करने की जरूरत है। उसके बाद एनजीटी ने उत्तर रेलवे पर 71 लाख 62 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो सेंट्रल रेलवे वेयरहाउस से 28 लाख 65 हजार रुपये जुर्माने के रुप में वसूलने का निर्देश दिया।

रेलवे स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग बंद करने का आदेश देना चाहिए

एनजीटी ने विशेषज्ञों की चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गर्गव, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. मुकेश खरे और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. मुकेश शर्मा और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के सदस्य सचिव शामिल थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तर रेलवे को शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग करने का काम बंद करने का आदेश देना चाहिए। इसके अलावा वहां काम करनेवाले मजदूरों की जांच अल्ट्राटेक सीमेंट की ओर से कराने की अनुशंसा की गई थी।

स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग करने का तरीका अवैज्ञानिक

कमेटी ने कहा कि एसीसी सीमेंट, वंडर सीमेंट, मंगलम सीमेंट और अंबुजा सीमेंट की ओर से मजदूरों की जांच की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। दिल्ली निवासी अनुभव कुमार ने दायर याचिका में कहा कि शकूरबस्ती स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग की वजह से आसपास के इलाकों जैसे रानी बाग, शकूरबस्ती, राजा पार्क, पंजाबी बाग, श्रीनगर, मादीपुर में वायु प्रदूषण की समस्या हो गई है। याचिका में कहा गया है कि स्टेशन पर सीमेंट की लोडिंग और अनलोडिंग करने का तरीका अवैज्ञानिक है। इससे इलाके के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

याचिकाकर्ता ने इसे लेकर रेल अधिकारियों के समक्ष कई बार अपनी बातें रखीं, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। याचिका में कुछ फोटो भी लगाए गए हैं जिसमें दिखाया गया है कि सीमेंट को खुले में रखा गया है। उससे हवा में उड़ने वाली धूल से वायु प्रदूषण हो रहा है।