डेप्युटी सीएम परमेश्वर : कुमारस्वामी का 5 साल तक समर्थन करने पर अभी फैसला नहीं

कर्नाटक का सियासी नाटक अभी जारी है। अब इस पॉलिटिकल ड्रामे में कांग्रेस नेता और राज्य के डेप्युटी सीएम जी परमेश्वर के बयान से नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को परमेश्वर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने पूरे पांच साल तक के कार्यकाल के लिए बतौर सीएम एचडी कुमारस्वामी का समर्थन करने पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है। बताते चलें कि शुक्रवार को कुमारस्वामी सरकार को सदन में बहुमत परीक्षण से गुजरना है।

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और डिप्युटी सीएम परमेश्वर ने कहा, ‘इस मुद्दे पर अभी चर्चा होनी और अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। हमारा तात्कालिक लक्ष्य फ्लोर टेस्ट को पास करना, मंत्रियों के विभागों का बंटवारा और लोगों को सुशासन मुहैया कराना है। वहीं, सीएम पद की हिस्सेदारी समेत कई मुद्दों पर अभी काम होना बाकी है।’

विभागों के बंटवारे पर माथापच्ची बाकी
बतौर डेप्युटी सीएम कार्यभार संभालने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान परमेश्वर ने यह बयान दिया। इससे साफ संकेत मिलता है कि गठबंधन के सहयोगियों में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के बाद समय से पहले ही गांठें उभर रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच अभी मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के जटिल मुद्दे पर बात नहीं बनी है। ज्यादा विधायक होने के बावजूद सीएम पद की कुर्बानी देने के बाद अब कांग्रेस अहम विभागों पर दावा जता रही है।

महज 37 विधायकों के साथ कुमारस्वामी पूरी तरह से कांग्रेस पर निर्भर हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी में हिस्सेदारी की किसी संभावना को खारिज किया था। बुधवार को सीएम पद की शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने मीडिया से कहा था, ‘हमारा इकलौता लक्ष्य एक आदर्श गठबंधन बनाना है। मेरे कार्यकाल और सरकार गठन से जुड़ी दूसरी जरूरतों पर हम लोगों के बीच अभी बात नहीं हुई है।’ अपने कार्यकाल के दूसरे दिन डेप्युटी सीएम जी परमेश्वर के बयान से वह कितने खुश होंगे यह भी देखने वाली बात है।

2019 चुनाव तक गठबंधन को दिक्कत नहीं
सियासी जानकार अभी मानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार में कोई दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि अगर गठबंधन में टूट होती है, तो बीजेपी फायदा उठाने में देरी नहीं लगाएगी। शपथग्रहण के ठीक एक दिन बाद जब कांग्रेस कुमारस्वामी की ताजपोशी के दौरान गैर-बीजेपी पार्टियों के बीच एकता की कोशिशों के केंद्र में रही, परमेश्वर का बयान विवाद को जन्म दे सकता है।

कांग्रेस में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो कुमारस्वामी के साथ गठबंधन से खुश नहीं हैं और परमेश्वर के बयान को उन्हें शांत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के बीच अहम विभागों को हासिल करने की रेस चल रही है और ऐसी संभावना है कि परमेश्वर को ही पार्टी नेतृत्व विभागों के बंटवारे की जिम्मेदारी को सौंप सकता है।

बारी-बारी से होगा सीएम?
अगर बारी-बारी से सीएम बनाए जाने पर सहमति होती है, तो कांग्रेस के डीके शिवकुमार इस रेस में सबसे आगे हैं। गठबंधन के विधायकों को बीजेपी के पाले में जाने से बचाने में उनकी अहम भूमिका रही। रूठे शिवकुमार को मनाने के लिए कांग्रेस उन्हें यह पद ऑफर कर सकती है। वह लंबे अरसे से कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग के अलावा एक अहम विभाग चाहते हैं। इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस उन्हें अपना सीएम कैंडिडेट भी बना सकती है।

शुक्रवार को गठबंधन की पहली परीक्षा है, जब विधानसभा के स्पीकर का चुनाव होगा और इसके बाद बहुमत परीक्षण की बारी आएगी। पांच बार के एमएलए सुरेश कुमार को अपना कैंडिडेट घोषित कर बीजेपी ने तय कर दिया कि स्पीकर के चुनाव में वोटिंग की जरूरत पड़ेगी। वहीं, कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार की ओर से छह बार के विधायक के आर रमेश कुमार स्पीकर कैंडिडेट हैं।

बीजेपी करेगी शक्ति परीक्षण का बॉयकॉट?
अगर कोई क्रॉस वोटिंग नहीं होती है, तो बीजेपी कैंडिडेट की हार तय है। वहीं, बीजेपी का यह भी मानना है कि अपने कैंडिडेट को स्पीकर के चुनाव में उतार कर वह राज्य की जनता तक यह संदेश देने में कामयाब रहेगी कि कथित ‘अपवित्र’ गठबंधन राज्य के लोकतांत्रिक संस्थानों की गरिमा गिरा रहा है।

शुक्रवार को स्पीकर के चुनाव के बाद कुमारस्वामी सरकार का शक्ति परीक्षण होगा। बीजेपी विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के बॉयकॉट का इरादा बना रही है। इसके जरिए वह राज्य में अनुचित गठबंधन सरकार का आरोप लगाते हुए हमला बोलने की तैयारी में है। विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले विधायकों के उत्साह को बनाए रखने के लिए तीनों पार्टियों (बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस) ने गुरुवार को विधायक दल की बैठक की।