दिल्ली दंगों के लिए सऊदी अरब आया था पैसा

दिल्ली पुलिस ने अदालत में अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वी दिल्ली के दंगों के लिए सऊदी अरब और देश के अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी.

पुलिस ने बुधवार को यह भी कहा ये दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि दिल्ली में अधिक से अधिक जान-माल की हानि के लिए पहले से तैयारी की गई थी.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें इन दंगों की जड़ों तक पहुंचने और आरोप पत्र दाखिल करने के लिए वक़्त दिया जाए.

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत में पुलिस की तरफ से इन दंगों के तीन महत्वपूर्ण किरदारों को लेकर अहम जानकारी दी गई.

इनमें आम आदमी पार्टी से निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र नेता मीरान हैदर और गुलिफ्सा खातून के नाम शामिल हैं.

पुलिस का कहना था कि ये तीनों तो मोहरा हैं, जिन्हें दंगों में अधिक नुकसान पहंचाने के लिए तैयार किया गया.

पुलिस ने कहा कि अभी जड़ तक पहुंचना बाकी है. साथ ही ये भी कहा कि लॉकडाउन के कारण जांच में देरी हुई.

‘जामिया छात्र को मिली रकम’

पुलिस ने कहा कि जामिया के छात्र नेता मीरान हैदर को सऊदी अरब से दंगे भड़काने के लिए रकम मिली.

साथ ही मीरान ने खुद गिरफ्तारी के बाद 2.33 लाख रुपए की रकम पुलिस को बरामद कराई. पुलिस के मुताबिक़, मीरान ने बताया कि यह रकम सऊदी अरब से उन्हें मिली है.

पुलिस के मुताबिक़, आप से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने अपनी कंपनियों के माध्यम से दंगों के लिए एक करोड़ 12 लाख रुपए जुटाए. साथ ही उन्हें प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से भी धन मिला.

एलएसी पर तनाव के बीच नज़र एलओसी पर

जिस वक़्त भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में विवादित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर तनाव में उलझे हुए हैं, उसी वक़्त सेना पश्चिमी फ्रंट पर भी कड़ी नज़र बनाए हुए है, ताकि पाकिस्तान को हालात का फ़ायदा उठाने से रोका जा सके.

अधिकारियों और चीन पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों ने ये बात हिंदुस्तान टाइम्स से कही है.

पिछले एक दशक में रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्टों में कहा है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत के लिए ख़तरा बन सकते हैं.

2014 में समिति को एक वरिष्ठ आईएएफ ऑफिसर ने कहा था कि अगर चीन भारत के ख़िलाफ़ आक्रामक अभियान शुरू करता है तो पाकिस्तान भी आक्रामक रवैया दिखा सकता है.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ होता है तो चीन ऐसा नहीं करेगा.

एक अधिकारी ने कहा, “दो मोर्चों पर युद्ध शुरू होने की संभावना कम है, लेकिन हमें सेना को इसके लिए तैयार रखना होगा.”

पीएम मोदी ने चीनी सोशल मीडिया साइट छोड़ी

द हिंदू अख़बार के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय का पेज बुधवार को चीनी सोशल मीडिया साइट वीबो पर ब्लैंक हो गया. पेज से नरेंद्र मोदी की तस्वीर और पिछले पांच साल में किए सभी 115 पोस्ट हटा लिए गए.

अख़बार की मानें तो चीनी ऐप्स पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध के फैसले के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने वीबो छोड़ने की प्रकिया शुरू कर दी थी.

सरकार ने सोमवार को डेटा सुरक्षा और भारत की संप्रभुता का हवाला देकर वीबो समेत कई ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इसके साथ की प्रधानमंत्री मोदी की “वीबो डिप्लोमैसी” का भी अचानक अंत हो गया, जिसे चीनी के लोगों से सीधे संवाद करने के लिए 2015 में उस वक़्त धूमधाम से शुरू किया गया था जब वो पहली बार प्रधानमंत्री के तौर पर चीन गए थे.

पेज से प्रधानमंत्री की फ़ोटो हटा दी गई है. 115 पोस्ट में से सिर्फ दो वो पोस्ट नहीं हटाई गई हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दिख रहे हैं.

पोस्ट हटाने में दो दिन का वक़्त लगा. मामले को हैंडल कर रहे सरकारी अधिकारियों के मुताबिक़, वीबो से निकलने की ‘प्रक्रिया’ पेचीदा थी. पोस्ट हटाने में इतना वक़्त क्यों लग गया, इसपर अधिकारियों का कहना है कि देरी के कारण ‘चीनी पक्ष को ज़्यादा अच्छे से पता होंगे’.

रेलवे ने निजीकरण की राह पर बढ़ाया कदम

रेलवे ने निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए बुधवार को यात्री ट्रेनों के 109 से अधिक रूट पर परिचालन के लिए निजी निवेश के पात्रता अनुरोध (रिस्वेस्ट फॉर क्वालीफिकेशन या आरएफक्यू) आमंत्रित किए. ये ख़बर बिज़नेस स्टैंडर्ड समेत कई अख़बारों में है.

courtesy by BBC