निषाद पार्टी ने भाजपा से गठबंधन किया

निर्बल शोषित इंडियन हमारा आम दल (Nishad Party) का छह साल के राजनीतिक इतिहास में पीस पार्टी और सपा के बाद भाजपा के साथ तीसरा गठबंधन है। गुरुवार को दिल्ली में निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भाजपा से गठबंधन किया, जबकि उनके पुत्र व गोरखपुर से सपा सांसद प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल हो गए। इससे सपा को तगड़ा झटका लगा है।

निषादों को पूर्वी यूपी का बड़ा वोटबैंक माना जाता है। राजनैतिक और सामाजिक रूप से उपेक्षित निषादों को पूर्व मंत्री जमुना निषाद ने बड़ी पहचान दी। उनके निधन के बाद निषाद पार्टी ने धीरे-धीरे समाज को सहेजना शुरू किया। इसमें 7 जून 2015 में सहजनवा का कसरवल कांड अहम मोड़ साबित हुआ। एससी आरक्षण के लिए रेलवे ट्रैक पर आंदोलन उग्र होने पर हुई पुलिस फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी।

इस मामले में डॉ. संजय निषाद और उनके समर्थकों पर केस हुआ और 35 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद डॉ. संजय निषाद बड़े नेता के तौर पर उभरे। 2017 के विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी से हाथ मिलाकर 60 सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन जीत इनमें से सिर्फ विजय मिश्र को ज्ञानपुर सीट पर मिली।

अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल निषादों को अनुसूचति जाति का दर्जा दिलाने के की मांग को लेकर शुरू हुआ निषादों का आंदोलन 13 जनवरी 2013 को पार्टी में तब्दील हुआ। पार्टी ने निषादवंशी 553 जातियों को एससी का प्रमाणपत्र दिलाने के लिए मुहिम शुरू की। इसी के बाद पार्टी का जन्म हुआ।

गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में डॉ. संजय निषाद ने अपने पुत्र इंजी. प्रवीण निषाद को सपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया। करीब चार दशक बाद गोरखपुर सीट निषाद पार्टी की मदद से पहली बार सपा के खाते में चली गई। अब सीटों के विवाद में सपा से गठबंधन टूट गया।

निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने कहा है कि रामराज में ही निषाद राज रहा है। भाजपा से संवैधानिक मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिला है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले गठबंधन का साथ देने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन बेमेल रहा। सपा से गठबंधन में निषादों को यथोचित सम्मान नहीं मिला।