सरकारी खरीद में हिस्सा नहीं ले पाएंगी चीनी कंपनियां, सरकार ने लगाया प्रतिबंध

चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत चीन समेत भारतीय जमीन से जुड़े देशों की कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से जुड़ी सरकारी खरीद में बोली नहीं लगा पाएंगी। इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने एक विस्तृत आदेश जारी किया है। वित्त मंत्रालय के आदेश के मुताबिक, यह फैसला भारत के साथ जमीन साझा करने वाले सभी देशों पर लागू होगा।

आदेश के तहत इन देशों से कोई भी बोलीकर्ता किसी भी खरीद में बोली लगा सकेगा, लेकिन इसके लिए उसे सक्षम प्राधिकारी के साथ पंजीकृत होना चाहिए। पंजीकरण के लिए सक्षम प्राधिकरण उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से पंजीकरण समिति गठित की जाएगी। बोली लगाने के लिए कंपनियों को विदेश और गृह मंत्रालय से राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी अनिवार्य रूप से लेनी होगी। इस आदेश के दायरे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों और सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाएं, सरकार या इसके उपक्रमों से वित्तीय सहायता प्राप्त इकाइयां आएंगे।

आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकारें भी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकार ने राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखा है कि राज्य सरकारों और राज्य उपक्रमों आदि की ओर से राज्य सरकार की खरीद के लिए इस आदेश के कार्यान्वयन के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 257 (1) के प्रावधानों को लागू किया जाए। राज्यों की ओर से सक्षम प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी आवश्यक रहेगी।

इसमें 31 दिसंबर 2020 तक कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए चिकित्सा आपूर्ति की खरीद सहित कुछ सीमित मामलों में छूट प्रदान की गई है। एक अलग आदेश द्वारा सरकार जिन देशों को लाइन ऑफ क्रेडिट देती है या विकास सहायता प्रदान करती है, उन्हें छूट दी गई है। उन देशों को पूर्व पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी। नए प्रावधान सभी नई निविदाओं पर लागू होंगे। पहले से ही आमंत्रित निविदाओं के संबंध में, यदि योग्यता के मूल्यांकन का पहला चरण पूरा नहीं हुआ है तो नए आदेश के तहत गैर पंजीकृत बोली लगाने वालों को योग्य नहीं माना जाएगा। यदि इस चरण को पार कर लिया गया है तो सामान्यतया निविदाओं को रद्द कर दिया जाएगा। आदेश सार्वजनिक खरीद के अन्य प्रारूपों पर भी लागू होगा। यह आदेश प्राइवेट सेक्टर की ओर से की जाने वाली खरीद पर लागू नहीं होगा।