आखिर क्यों इतना खास है चंद्र ग्रहण?

आज दुनिया सदी के सबसे लंबे चंद्र ग्रहण की गवाह बनेगी. इस ग्रहण का असर धरती पर कुल 3 घंटे 55 मिनट तक रहेगा. जबकि 1 घंटे 42 मिनट 57 सेकेंड का पूर्ण ग्रहण लगेगा.

अगर ये 4 मिनट और ज्यादा देर तक चलता तो अपने अधिकतम स्तर पर होता. ऐसा माना जा रहा है कि शुक्रवार के दिन पड़ने वाला ग्रहण कई मायनों में काफी खास होगा. ब्लड मून के अलावा इसके पीछे और कई कारण हैं, जो इस ग्रहण को खास बनाते हैं. जानिए ऐसे ही पांच कारणों के बारे में.

1. अपने साइज से छोटा दिखेगा चांद
केप्लर के दौर से करीब 400 सालों से हम जानते हैं कि कक्षाओं में सबसे दूर बिंदु पर घूमने वाली वस्तुएं सबसे धीमी गति से चलती हैं. अगर सबसे लंबे चंद्र ग्रहण की बात सच है तो चंद्रग्रह कक्षा के सबसे दूर बिंदू वाले बिंदू के नजदीक होगा. तमाम गणनाओं के बाद ऐसा अनुमान है कि चंद्रमा अपने वास्तविक साइज़ करीब 12% छोटा दिखाई देगा.

2. असामान्य रूप से लाल होगा
आप सोच रहे होंगे कि चंद्र ग्रहण को ब्लड मून क्यों कहा जाता है. तो दरअसल चंद्रग्रहण के समय जब सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है तो सूरज की किरण रुक जाती है. पृथ्वी की वजह से रोशनी अपनी दिशा बदलकर चांद पर पड़ती है और इसी कारण चंद्रमा लाल नजर आता है. आपको बता दें कि जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है तभी ब्लड मून होता है.

लंबे ग्रहण के लिए सूरज, धरती और चंद्रमा के बीच परफेक्ट संरेखण में होना चाहिए. मतलब कि चंद्र को सटीकता के साथ धरती की छाया से होकर गुजरेगा.

3. मंगल की तुलना में ज्यादा में कम चमकेगा
रात में सबसे ज्यादा चमकने वाले तारों में से एक है. क्योंकि ये धरती के सबसे ज्यादा करीब भी है. लेकिन ज्यादा लंबा ग्रहण होने के बावजूद भी इसकी चमक इतनी ज्यादा नहीं होगी.

वैज्ञानिकों के मुताबिक पूरा चंद्र ग्रहण आम चांद की तुलना में 10 लाख गुना धुंधला दिखाई देगा. जबकि 27 जुलाई की रात को मंगल ग्रह धरती के ज्यादा करीब होगा. एक वक्त ऐसा भी आएगा जब दोनों एक ही जगह दिखाई देंगे. तब उस वक्त मंगल ग्रह ज्यादा चमकदार दिखेगा.

4. 150 साल बाद ऐसा संयोग
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दोपहर और मध्यरात्रि का ग्रहण सबसे प्रभावशाली और लंबा होता है. जबकि खगोलशास्त्री बताते हैं कि करीब 150 साल बाद ग्रहण ऐसा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. 18 साल बाद ऐसा मौका आ रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण पड़ेगा. इससे पहले 16 जुलाई 2000 को ऐसा संयोग हुआ था.

5. बिना फिल्टर चांद की खूबसूरती
आमतौर पर चांद को बाइनाकुलर और बायोस्कोप से देखना आंखों के लिए काफी कष्टकारी होता है. बिना फिल्टर के चंद्रमा को लंबे वक्त तक देखना काफी कठिन होता है.

क्योंकि उसका उजाला आंखों पर प्रभाव डालता है. लेकिन ग्रहण के दौरान आप बिना बायोस्कोप और बाइनाकुलर के इसकी खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं. ये आपकी आंखों पर आम दिनों की तुलना में ज्यादा असर नहीं डालेगा.