आज होगी ट्रिपल तलाक बिल पर लोकसभा में चर्चा

मुस्लिम समाज के कुछ वर्गों से जुड़ी इंस्टेंट ट्रिपल (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार को लोकसभा में चर्चा हो सकती है. तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक बीते 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था. इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है.

इंस्टेंट ट्रिपल तलाक से जुड़े अध्यादेश की जगह पर लाए गए इस विधेयक पर 27 दिसंबर को सदन में चर्चा कराने को लेकर पिछले हफ्ते सभी दलों में बनी थी. सरकार ने कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी, ताकि राजनीतिक दलों में इस बिल को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके.

विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा नहीं रुक रही है. ऐसे में यह कानून मुस्लिम समाज की महिलाओं के संरक्षण के लिए जरूरी हो गया है.

इंस्टेंट ट्रिपल तलाक को दंडात्मक अपराध करार देने वाले बिल को लेकिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने व्हिप जारी करते हुए अपने सभी सांसदों को आज लोकसभा में मौजूद रहने को कहा है. यह बिल लोकसभा में एक बार पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा ने कुछ संशोधनों के साथ इसे वापस कर दिया था. ऐसे में इसे लोकसभा से दोबारा पास होना जरूरी है.

तीन तलाक जिस तरह से आज मुस्लिम समुदाय में चलन में है, इसका कोई भी जिक्र कुरान और हदीस में नहीं मिलता. फिर भी जनमानस में लंबे वक्त से चलते आने के कारण ये एक बड़ा ही पेचीदा मसला बन गया है. फिर चूंकि… सभी धर्मों के धर्म गुरुओं की तरह इस्लाम में भी काज़ी को धार्मिक रीति-रिवाजों के बारे में कई तरह की व्याख्या की छूट दी गई है, तो ऐसे में ये मामला और भी उलझाऊ हो जाता है.

मुस्लिम समाज के कुछ वर्गों से जुड़ी इंस्टेंट ट्रिपल (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार को लोकसभा में चर्चा हो सकती है. तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक बीते 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था. इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है.

इंस्टेंट ट्रिपल तलाक से जुड़े अध्यादेश की जगह पर लाए गए इस विधेयक पर 27 दिसंबर को सदन में चर्चा कराने को लेकर पिछले हफ्ते सभी दलों में बनी थी. सरकार ने कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी, ताकि राजनीतिक दलों में इस बिल को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके. विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा नहीं रुक रही है. ऐसे में यह कानून मुस्लिम समाज की महिलाओं के संरक्षण के लिए जरूरी हो गया है.