बैंकों की अवैध सरचार्ज वसूली पर RBI की सख्ती

डिजिटल पेमेंट पर सरचार्ज के नाम पर अवैध वसूली करने वाले बैंकों के खिलाफ रिजर्व बैंक ने जांच शुरू कर दी है। आरबीआई को कुछ बैंकों के खिलाफ गलत तरीके से डिजिटल लेन देन के नाम पर सरचार्ज वसूलने वालों की जानकारी मिली है। मामला लगभग 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली का है।

आईआईटी बॉम्बे की तरफ से डिजिटल लेनदेन पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि बैंकों ने इन ट्रांजेक्शन पर पेमेंट सरचार्ज लगाकर साल 2018 में 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली की है। इसे लेकर आरबीआई बेहद गंभीर है। सूत्रों ने ‘हिंदुस्तान’ को बताया है कि जांच में दोषी पाए जाने पर बैंक रेग्युलेशन एक्ट के तहत एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही रिजर्व बैंक के पेमेंट एंड सेटेलमेंट सिस्टम्स एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की राजधानी दिल्ली में यूपीआई के जरिए बिजली बिल भरने वालों को बिल की रकम से एक फीसदी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।

ग्राहकों की जेब पर बोझ

मुंबई में टाटा पावर के ग्राहकों का बिजली बिल दो हजार रुपये से ज्यादा और दिल्ली में पांच हजार रुपये से ज्यादा होने पर जीएसटी लगाकर 0.7 फीसदी सरचार्ज देना पड़ता है, जबकि रेलवे की यात्रा के लिए आईआरसीटीसी से टिकट बुक करते समय यूपीआई से दो हजार रुपये से ज्यादा के पेमेंट पर जीएसटी के साथ अतिरिक्त 10 रुपये देने पड़ रहे हैं।

बैंकों ने चार्ज लेने की बात मानी

रिपोर्ट को तैयार करने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास के मुताबिक, लगातार शिकायत करने पर बैंक ऐसे ग्राहकों के पैसे भी लौटाते हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा रिपोर्ट तैयार करने के दौरान बैंकों ने भी ऐसे चार्ज की बात मानी है। आईआईटी बॉम्बे ने अपनी रिपोर्ट सभी बैंकों के साथ-साथ रिजर्व बैंक को भी भेजी है। रिजर्व बैंक उस पर जांच कर रहा है। रिजर्व बैंक की जांच के दौरान अगर बैंक ऐसे मामलों में दोषी पाए जाते है तो उन्हें ऐसे सभी ग्राहकों को पैसे वापस लौटाने पड़ सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने लगाया था 71 करोड़ का जुर्माना

भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 मार्च को ही स्विफ्ट प्रणाली से जुड़े नियमों के उल्लंघन के मामले में कुल 36 बैंकों पर 71 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। स्विफ्ट एक वैश्विक संदेश सॉफ्टवेयर है जिसका इस्तेमाल वित्तीय इकाइयों के लेनदेन में किया जाता है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने इसी प्रणाली का दुरुपयोग करके पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था।