भारत में पहली बिना इंजन वाली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रे सचलेगी

देश की पहली बिना इंजन वाली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस में सफर का मजा लेने के लिए आपको अपनी जेब थोड़ी ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। किराये के साथ-साथ खाने के लिए भी 40 फीसद ज्यादा रकम खर्च करनी होगी।

रेलवे बोर्ड ने इस ट्रेन की खाने की दरें घोषित कर दी हैं। इसके मुताबिक दिल्ली से वाराणसी की यात्रा में इस ट्रेन के चेयर कार में खाने का शुल्क 344 रुपये जबकि एक्जीक्यूटिव क्लास में 399 रुपये होगा। इसमें चाय, नाश्ता, लंच और डिनर सब शामिल है। वापसी यानी वाराणसी-दिल्ली यात्रा में कैटरिंग शुल्क अपेक्षाकृत कम अर्थात 299 तथा 349 रुपये होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए रेलवे अन्य ट्रेनो के साथ इस ट्रेन में मिट्टी के बर्तनों के उपयोग पर विचार कर रहा है।

न्यूज पेपर के साथ ही पानी के एक बोतल के लिए अलग से 20 रुपये लिए जाएंगे। जो यात्री इलाहाबाद से वाराणसी के लिए बैठेंगे, उन्हें खाना न लेने का विकल्प मिलेगा। यदि आप ट्रेन में बैठने के बाद फूड सर्विस लेने का फैसला करते हैं तो 50 रुपये एक्स्ट्रा देने होंगे।

अभी दिल्ली से वाराणसी के लिए डिब्रूगढ़ राजधानी का सेकंड एसी का किराया 2045 रुपये है। इसमें खाने के 235 रुपये शामिल हैं। जबकि फ‌र्स्ट एसी के 3325 रुपये के किराये में कैटरिंग के 255 रुपये लिए जाते हैं। चूंकि वंदे भारत के दिल्ली-वाराणसी के कैटरिंग चार्ज लगभग 40 फीसद अधिक हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस ट्रेन का किराया भी राजधानी-शताब्दी के मुकाबले लगभग इतना ही अधिक होगा।

वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18) का किराया और समय सारणी अभी घोषित नहीं हुई है। लेकिन रेलवे सूत्रों के अनुसार 15 फरवरी को ये ट्रेन नई दिल्ली से सुबह 11 बजे वाराणसी के लिए उद्घाटन यात्रा पर रवाना होगी। जबकि शाम को लगभग साढ़े सात बजे वाराणसी पहुंचाएगी। लेकिन यह इसका वास्तविक शिडयूल नहीं है। उद्घाटन के बाद जब वंदे भारत का नियमित संचालन शुरू होगा तब इसे सुबह लगभग छह-साढ़े छह बजे नई दिल्ली से रवाना करने और अपराह्न दो-ढाई बजे वाराणसी पहुंचाने का प्रस्ताव है। जबकि वापसी में इसे वाराणसी से अपराह्न तीन बजे चलाकर रात 11 बजे नई दिल्ली लाने की योजना है।

प्रधानमंत्री मोदी इस ट्रेन की उद्घाटन यात्रा को नई दिल्ली से हरी झंडी दिखा सकते हैं। इस बात की भी चर्चाएं हैं मोदी इस ट्रेन से वाराणसी जा सकते हैं और रास्ते में कानपुर तथा इलाहाबाद में जन सभाओं को संबोधित कर सकते हैं। लेकिन उनकी यह यात्रा उद्घाटन के साथ होगी अथवा बाद में किसी दिन ऐसा करेंगे, यह स्पष्ट नहीं है। चूंकि 17 फरवरी को विश्वकर्मा जयंती है इसलिए मोदी की यात्रा उस दिन भी हो सकती है। वंदे भारत को भारतीय इंजीनियरिंग का कमाल माना जा रहा है। और भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के इंजीनियर के रूप में पूजा जाता है। रेल भवन स्थित रेलमंत्री के कक्ष में भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर पर रोजाना फूल चढ़ाए जाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी रेलवे की तरफ से लोगों को वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात तो देंगे ही, चुनावी साल में उनके पिटारे से और भी बहुत कुछ निकलेगा। 19 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी देश के पहले तकनीकी रूप से बदले इंजन को भी रवाना करेंगे। वाराणसी के डीजल रेल कारखाना में डीजल इंजन को बिजली इंजन में बदला गया है। इस बदलाव के साथ इंजन की क्षमता भी 2600 अश्वशक्ति से बढ़कर 5000 अश्वशक्ति हो गई है।

जबकि, 27 फरवरी को प्रधानमंत्री तमिलनाडु के रामेश्वरम से धनूषकोड़ी के बीच नए बड़ी लाइन (ब्राडगेज) की नींव रखेंगे। धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इन दोनों से शहरों के बीच रेल लाइन 1964 में आई सुनामी में उखड़ गई थी। तब से इसकी तरफ किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया था। इसके निर्माण पर 208 करोड़ रुपये की लागत आएगी।