क्रिकेट की पिच हो या सियासी मैदान, नवजोत सिंह सिद्धू का खास अंदाज हमेशा ही चर्चा में रहा। क्रिकेट से संन्यास लेकर जब कमेंटेटर बने, तो इसी अंदाज से लोकप्रिय हो गए। फिर सियासी मैदान में भी विपक्षियों को मात दी। हालांकि अपने विवादित बयानों के चलते भी सिद्ध् अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू एक ऐसा नाम जो क्रिकेट की दुनिया में लोकप्रियता हासिल करने के बाद टीवी की ग्लैमर भरी दुनिया में भी खूब चमका। भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले सिद्धू वर्तमान में पंजाब कैबिनेट में मंत्री हैं। वह कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल हैं और विभिन्न राज्यों में प्रचार में भी जुटे हैं। मगर ऐसी चर्चा है कि पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से चल रही तनातनी और लोकसभा के सियासी रण में उन्हें या उनकी पत्नी को उतरने का मौका ना दिए जाने का मलाल उन्हें है।
हालांकि सिद्धू के विवादित बयान और कदम कई बार उनकी ही पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में जाने के बाद वह विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। यही नहीं वहां पाक सेनाध्यक्ष को गले लगाना तो खुद उनकी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को भी पसंद नहीं आया।
कैप्टन अमरिंदर ने खुलकर इसका विरोध किया। बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक के बाद भी सिद्दू के द्वारा दिए गये बयान को लेकर खासा हल्ला मचा था। इन दिनों वह भाजपा के नेताओं पर जमकर मुखर हैं और पार्टी के दिग्गज नेताओं पर हमला बोल रहे हैं तथा कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताने के लिए देश भर में अपील भी कर रहे हैं। उनकी भाषण शैली के लोग भी कायल हैं, जिनके कार्यक्रमों की मांग पार्टी के पास लगातार आ रही है। नवजोत सिंह सिद्धू ने 1983 से लेकर 1999 तक 17 साल क्रिकेट खेला। वह 1987 में हुए विश्व कप की टीम में भी शामिल थे। 1999 में क्रिकेट से संन्यास लिया और कमेंट्री में भी हाथ आजमाया।
निजी जीवन
– पूरा नाम नवजोत सिंह सिद्धू
उपनाम सिक्सर सिद्धू, शेरी, शेरी पाजी
जन्म 20 अक्तूबर 1963 को पटियाला( पंजाब) में
पिता सरदार भगवंत सिंह सिद्दू भी क्रिकेट खिलाड़ी थे
पटियाला के यदिवेन्द्र स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा
चंडीगढ़ के मोहिंद्रा कॉलेज से स्नातक, पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून विषय में स्नातक
पत्नी नवजोत कौर पेशे से डॉक्टर व नेता
एक बेटी राबिया और बेटा करण
सियासी सफर
– 2004 में भाजपा टिकट पर अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
– उन पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का भी मुकदमा चला
– अदालत तीन साल की सजा सुनाई।
– 2007 में लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की
– सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई, दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा
– कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मंत्री सुरिन्दर सिंगला को 77626 वोटों से हराया
– 2009 में भी वह इसी सीट से जीते
– 2014 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, राज्यसभा सदस्य बने
– 2016 में आवाज-ए-पंजाब नाम से अलग पार्टी बनाई
– पंजाब विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस में शामिल हो गए
सोशल प्रोफाइल
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अप्रैल 2013 से टिवटर पर सक्रिय