राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदान किए पद्म पुरस्कार

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में लोक गायक तीजन बाई को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

इसरो के वैज्ञानिक नांबी नारायणन, एमडीएच मसालों के मालिक धर्मपाल गुलाटी और पर्वतारोही बछेन्द्री पाल को पद्म भूषण से नवाजा गया। इसके बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी, स्वप्न चौधरी, सुनील छेत्री, बम्बेला देवी लेशराम, क्रिकेटर गौतम गंभीर, एच.एस. फुल्का, बास्केट बॉल खिलाड़ी प्रशांति सिंह और डी. प्रकाश राव को पद्म श्री अवॉर्ड मिले।

इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते 11 मार्च को 112 पद्म पुरस्कारों में से 55 पद्म पुरस्कार प्रदान किए थे, जिनमें एक पद्म विभूषण, 8 पद्म भूषण और 46 पद्मश्री प्रदान किए गए थे। सम्मान पाने वालों में एक डॉक्टर दंपति सहित प्रतिष्ठित लोग शामिल रहे।

देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण महाराष्ट्र के थिएटर व्यक्तित्व व लेखक बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे को मिला। अन्य श्रेणियों में पद्म पुरस्कार से दिवंगत पत्रकार-लेखक कुलदीप नैय्यर के अलावा कला जगत से प्रभु देवा, शंकर महादेवन और दिवंगत अभिनेता कादर खान को सम्मानित किया गया।

राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान के मुताबिक, डॉक्टर जोड़ी रवींद्र और स्मिता कोल्हे को मिले पुरस्कार को एक पद्मश्री के रूप में गिना गया। पुरस्कार अर्पण राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में किया गया। इस बार कुल 4 पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता हैं।

भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार से पंजाब के राजनेता व राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा, सिस्को के पूर्व सीईओ यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष जॉन चैम्बर्स, मलयालम फिल्म अभिनेता विश्वनाथन मोहनलाल और लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर करिया मुंडा सम्मानित किए गए।

सांसद हुकुमदेव नारायण यादव और सितार वादक बुधादित्य मुखर्जी पद्मभूषण से सम्मानित होने वालों में से एक हैं। कुलदीप नैय्यर का पुरस्कार उनकी पत्नी भारती ने ग्रहण किया।

पद्मश्री पुरस्कारों से सम्मानित होने वालों में टेबल टेनिस खिलाड़ी अचंता शरत कमल, रेसलर बजरंग पुनिया, शतरंज खिलाड़ी हरिका द्रोणावल्ली, डॉक्टर इलियास अली व माममेन चांडी, वास्तुकार बिमल पटेल, पुरातत्वविद दिलीप कुमार चक्रवर्ती, शिक्षाविद गणपत आई. पटेल के साथ ही पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर भी शामिल रहे।