वेनेजुएला : बढ़ी महंगाई, 50 लाख में मिल रहा है एक बर्गर

वेनेजुएला में महंगाई दर 10 लाख फीसदी तक बढ़ गई है जिस कारण वहां वस्तुओं के दाम कई गुना बढ़ गए हैं. कभी दक्षिण अमेरिका के सबसे अमीर देशों में से एक रहे वेनेजुएला की इस हालत के पीछे गलत सामाजिक प्रयोग जिम्मेदार रहे हैं.

इस देश की अर्थव्यवस्था अब इतने बुरे दौर में पहुंच चुकी है कि हर दिन पांच हजार लोग दूसरे देशों की तरफ पलायन कर रहे हैं. यहां के पेशेवर अब अस्पताल और विश्वविद्यालयों को छोड़कर जा रहे हैं. वेनुजुएला के वकील मजदूर या सेक्स वर्कर के तौर पर काम करने के लिए मजबूर हैं. वहीं बताया जा रहा है कि ब्यूरोक्रेट स्तर के अधिकारी घरों में काम कर रहे हैं.

वेनेजुएला संकट की वजह से त्रिनिदाद और टैबेगो के सामने भी परेशानी खड़ी हो गई है क्योंकि सबसे अधिक शरणार्थी इन्हीं दो देशों में शरण लेने के लिए पहुंच रहे हैं. हालांकि इन दोनों देशों की स्थिति भी ऐसी नहीं है कि ये वेनेजुएला के लोगों को अपने देश में शरण दे सकें. इस वजह से सीमा पर मानव तस्करी की शुरुआत भी हो चुकी है.

बता दें कि 1950 से 1980 के दशक तक वेनेजुएला आर्थिक रूप से सशक्त देश था. यहां तेल के कई भण्डार मौजूद थे और यह इटली और स्पेन जैसे देशों के प्रवासियों के लिए प्रकाशस्तम्भ के समान था. लेकिन फिर तेल के दामों में उतार चढ़ाव, मुद्रा संकट और सरकार की गलत नीतियों ने इस देश को मुश्किल में धकेल दिया.

1999 में हुगो चावेज देश के राष्ट्रपति बने जिनकी समाजवाद की नीति ने कई व्यवसायों को तबाह कर दिया. कुछ व्यवसायों को राष्ट्रीयकृत कर दिया गया. राज्य द्वारा संचालित तेल उद्योग से हजारों श्रमिकों को हटा दिया गया, जिन्हें राजनीतिक समर्थकों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था जिन्हें कोई तकनीकी अनुभव नहीं था.

2013 में पहले बस ड्राइवर और फिर यूनियन लीडर निकोलस माडुरो देश के राष्ट्रपति बने जिनके आने के बाद देश की अर्थव्यस्था की हालत और खराब हो गई है.

अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने वेनेजुएला से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है जिस कारण वहां की तेल बिक्री न के बराबर हो गई है. राष्ट्रपति निकोलस माडुरो के अनुसार वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों की वजह से ही देश की अर्थव्यस्था की हालत खराब हुई है.