सुप्रीम कोर्ट ने NRC से बाहर लोगों का सटीक डेटा मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने असम में हाल ही में जारी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के ड्राफ्ट से बाहर रहे लगभग 40 लाख लोगों का जिले के अनुसार पर्सेंटेज मांगा है। कोर्ट ने इनकी नागरिकता की पुष्टि की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समयसीमा को बढ़ाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार NRC से बाहर रहे लोगों का पर्सेंटेज में सटीक आंकड़ा मांगा है। लेकिन इस आंकड़े के विवादास्पद होने की आशंका के कारण कोर्ट ने NRC को कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला से इसे एक ‘सीलबंद लिफाफे’ में देने को कहा है।

हालांकि, बेंच ने फाइनल NRC को तैयार करने के लिए पुष्टि की प्रक्रिया को पूरा करने की समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली दो जजों की बेंच ने कहा, ‘हम समयसीमा को लेकर सुनवाई नहीं करना चाहते।’ बेंच में जस्टिस आर एफ नरीमन भी शामिल हैं।

बेंच ने कहा कि फॉर्म जमा करने का काम पहले से निर्धारित 30 अगस्त से 28 सितंबर तक जारी रहेगा। क्लेम करने की इच्छा रखने वाले लोगों को 28 अगस्त को फॉर्म दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि प्रक्रिया को पूरा करने में दो से चार महीनों का समय मिलेगा। केंद्र ने इसे पूरा करने के लिए कोर्ट से और समय की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने NRC का ऑर्डर दिया था और वह इसे जल्द पूरा करना चाहता है।

यह पहली बार नहीं है कि जब सरकार ने समयसीमा बढ़ाने की मांग की है। राज्य सरकार ने भी आगामी पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट ने इसे भी अस्वीकार कर दिया था। NRC से संबंधित दावों और आपत्तियों की पुष्टि के लिए अपनाए जाने वाले स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को लेकर भी विवाद है। इसमें ड्राफ्ट NRC से छूट गए सभी लोगों के बायोमीट्रिक्स अलग से रिकॉर्ड करने का प्रपोजल है। इसमें कहा गया है कि अगर ऐसे लोगों के दावे को सही नहीं पाया जाता तो उन्हें आधार नहीं दिया जाएगा और वे फाइनल NRC में शामिल नहीं होंगे।

SOP पर सुप्रीम कोर्ट 28 अगस्त को विचार करेगा। इससे पहले SOP पर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन और जमात उलेमा ए हिंद सहित संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। राज्य में अवैध प्रवासियों की समस्या की ओर से कोर्ट का ध्यान दिलाने वालों की भी सुनवाई की जाएगी। इन लोगों ने अपनी याचिका में कहा था कि अवैध प्रवासियों के कारण स्थानीय जनसंख्या की स्थिति खराब हो रही है। कोर्ट ने इनकी याचिका पर NRC तैयार करने का आदेश दिया था। असम में इससे पहले 1951 में इस तरह की सूची बनाई गई थी।