दिल्ली सरकार से केंद्र सरकार ने छीना अधिकार

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच बढ़ी तनातनी

नई दिल्ली (hdnlive)। केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार (delhi government) के बीच एक बार फिर से तनातनी बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि भाजपा(BJP) दिल्ली में पीछे के दरवाजे से शासन करना चाहती है। बता दें कि केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। जिसके मुताबिक दिल्ली सरकार कोई भी निर्णय करती है तो उन्हें 10-15 दिन पहले उपराज्यपाल (Lieutenant governor) को जानकारी देनी होगी और अगर उनको लगता है कि यह ठीक नहीं है तो फिर उनको राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता हैं। इस प्रस्ताव में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को स्पष्ट किया गया है।

चुनी हुी सरकार होने के बावजूद उपराज्यपाल के हाथ में पॉवर होगी निर्णय लेने की

केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि चुनी हुी सरकार होने के बावजूद उपराज्यपाल के हाथ में पॉवर होगी निर्णय लेने की। यह एक तरह से भाजपा पिछले दरवाजे से दिल्ली की जनता पर शासन करना चाहती है। तीन बार चुनाव हार चुकी है। दिल्ली की जनता ने तीन चुनावों में कहा है कि हमको भारतीय जनता पार्टी की गवर्नेंस नहीं चाहिए दिल्ली में, अब यह पीछे के दरवाजे से आकर दिल्ली में संविधान के खिलाफ सरकार चलाना चाहते हैं।

पुलिस, लैंड और पब्लिक आर्डर को छोड़कर हर मामले में फैसले लेने का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि इससे सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि दिल्ली की सरकार ने जो जनता के लिए हित में फैसले लिए हैं उन सब पर निर्णय लेने का अधिकार भाजपा को मिल रहा है। इस दौरान मनीष सिसोदिया ने उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक पीठ द्वारा सुनाए गए फैसला का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2015 में संवैधानिक पीठ ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार और चुनी हुई विधानसभा, इसके पास तीन मसलो को छोड़कर- पुलिस, लैंड और पब्लिक आर्डर को छोड़कर हर मामले में फैसले लेने का अधिकार है।