G20 : भारत-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए MoU साइन

  • जानिए चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का कैसे बनेगा विकल्प
  • India Center East Europe Monetary Passage MoU marked:

hdnlive / अरबिन्द कुमार

G20 summit : भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (India Center East Europe Monetary Passage MoU) को स्थापित करने के लिए एमओयू साइन हो गया है। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के बन जाने से दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व यूरोप के बीच बेहतर कनेक्टिविटी और इकोनॉमिक इंट्रीग्रेशन के माध्यम से इकोनॉमिक डेवलपमेंट को गति प्रदान करेगा। इस कनेक्टिविटी के लिए दो अलग-अलग आर्थिक गलियारा बनाए जाएंगे। माना जा रहा है कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इस प्रोजेक्ट के साइन होने पर चीन को बड़ा संदेश दिया गया है। दरअसल, यह परियोजना, चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के विकल्प के तौर पर अस्तित्व में लाया जा रहा।
अमेरिका समते इन देशो ने साइन किया MoU पर

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इंडिया-मिडल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के एमओयू पर भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ आयोग ने साइन किया है। यह कॉरिडोर, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व यूरोप के बीच बेहतर कनेक्टिविटी और इकोनॉमिक इंट्रीग्रेशन के माध्यम से इकोनॉमिक डेवलपमेंट को गति प्रदान करेगा।

दो अलग-अलग कॉरिडोर होंगे

इंडिया-मिडल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर में दो अलग-अलग कॉरिडोर होंगे। एक, भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ने वाला पूर्वी गलियारा होगा तो दूसरा पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ने वाला उत्तरी गलियारा। इस प्रोजेक्ट में एक रेल लाइन भी शामिल है। दरअसल, भारत के माध्यम से दक्षिणपूर्व एशिया के बीच गुड्स एंड सर्विसेस के ट्रांसशिपमेंट को बढ़ाने वाले मौजूदा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्गों के लिए एक विश्वसनीय और इकोनॉमिक क्रॉस बार्डर शिप-से-रेल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क प्रदान करेगी। भारत हमेशा से एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के मंत्र के साथ अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर रहा है। यह प्रोजेक्ट इसी प्राथमिकता के साथ लागू करने का प्रयास है। इससे विभिन्न देशों में निवेश, सहयोग और कनेक्टिविटी बनाने में मदद मिलेगी।

नया गेमचेंजर

इंडिया-मिडिल-ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर, चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के विकल्प के रूप में नया गेमचेंजर साबित होगा। रेलवे और शिपिंग कनेक्टिविटी कॉरिडोर की घोषणा के कारण शिपिंग समय और लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यापार सस्ता और तेज हो जाएगा। दरअसल, इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है जिसने पाकिस्तान, केन्या, जाम्बिया, लाओस और मंगोलिया जैसे कई विकासशील देशों को भारी कर्ज में डाल दिया है। नया कॉरिडोर बुनियादी ढांचे की कमी से निपटेगा जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास को बाधित करता है। यह परियोजना मध्य पूर्व में तनाव और अस्थिरता को कम करने में योगदान दे सकती है, जिससे समग्र क्षेत्रीय सुरक्षा में सुधार होगा।

जानिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के बारे में

चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को 2013 में घोषित किया गया था। इस इनिशिएटिव की घोषणा चीन ने 2013 में करते हुए दुनिया के देशों में कनेक्टिविटी को बढ़ाने की पहल की थी। दरअसल, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का अर्थ है वन बेल्ट वन रोड – जो व्यापार और निवेश प्रवाह से परे वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ चीन के एकीकरण को गहरा करने की प्रतिबद्धता है। यह मध्य, पश्चिमी और दक्षिणी एशिया में कनेक्टिविटी के नेटवर्क में सुधार और निर्माण करके और मध्य पूर्व के साथ-साथ पूर्वी और उत्तरी अफ्रीका तक पहुंच बनाकर यूरेशियाई व्यापार की बाधाओं को कम करता है।