NGT का बडा बयान : छिड़काव से मच्‍छर नहीं मरते, दिखावा करती है सरकार

दिल्ली – एनसीआर में फॉगिंग यानि मच्छर मारने की दवा के छिड़काव को गैर जरूरी बताया है. NGT कोर्ट ने कहा है कि सरकार सिर्फ दिखावे के लिए छिड़काव का काम करती है. दरअसल, छिड़काव के दुष्प्रभावों को लेकर दो साल पहले लगाई गई याचिका पर दिए आदेश के दौरान एनजीटी ने ये बातें कही हैं.

ट्रिब्यूनल ने सिविक एजेंसीज की पोल खोलते हुए कहा, ” सरकार, यह दिखाना चाहती है कि वह जनता की सुरक्षा के लिए कुछ कर रही है, यही वजह है कि छिड़काव किए जा रहे हैं. जबकि वास्तव में यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक असर ही डाल पाती है कि छिड़काव के बाद लोग सुरक्षित हैं.”

छिड़काव के दुष्प्रभावों

कोर्ट ने यह तक कह दिया है कि घरों के बाहर होने वाले छिड़काव से ना सिर्फ सरकार की बड़ी रकम खर्च होती है बल्कि इससे पर्यावरण प्रदूषण से लेकर ट्रैफिक जाम और आगजनी की घटनाओं तक का खतरा है. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि सरकार और सिविक एजेंसी सिर्फ लोगों के आई वॉश के लिए छिड़काव कर रही हैं, उससे मच्छर नहीं मरते.

एनजीटी ने यह भी कहा है कि घरों के अंदर होने वाले छिड़काव से फिर भी मच्छर मर जाते हैं लेकिन घरों के बाहर सड़कों पर होने वाले छिड़काव से सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है. उसमें छिड़काव करने के लिए बड़ी मात्रा में केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जो पर्यावरण में खुलकर हमारी सांसो तक पहुंचते हैं. डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों के जन्मदाता मच्छर आउटडोर फॉगिंग होते ही दूसरी जगह भाग खड़े होते हैं. कोर्ट ने कहा है कि फॉगिंग की बजाय सिविक एजेंसियों को कूड़े के निस्तारण और जगह-जगह जमा होने वाले पानी को रोकने के उपाय करने चाहिए.

लोकल कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश

कोर्ट ने इस मामले में आदेश देते हुए 12 लोकल कमिश्नर भी नियुक्त कर दिए हैं. इनकी जिम्मेदारी दिल्ली के अलग-अलग जिलों में यह सुनिश्चित करने की होगी कि वहां मच्छर ना पनपे. इसके अलावा एनजीटी ने एमसीडी को यह निर्देश दिया है कि वह हर इलाके के अधिकारी और कर्मचारी का वेबसाइट पर ब्यौरा देगी. इस ब्‍यौरे में उसका नाम और संपर्क के लिए फोन नंबर मौजूद होगा.

इससे आम लोग अपनी समस्या के लिए सीधे अपने क्षेत्र से जुड़े एमसीडी अधिकारी को फोन मिला सकेंगे. इसके अलावा एमसीडी के अधिकारियों ने किन-किन जगहों पर काम किया और उसके क्या नतीजे निकले, यह भी वेबसाइट पर बताना होगा. याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने सरकार और सिविक एजेंसियों को निर्देश दिया है कि एनजीटी के आदेश पर बनाई गई कमेटी मच्छरों की रोकथाम के उपाय और प्रयासों पर अपनी नजर रखेगी.

दिल्ली – एनसीआर में मच्छरों से बीमारिया

बता दें कि पिछले कई सालों में दिल्ली – एनसीआर में मच्छरों के पनपने से डेंगू चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों से सैकड़ों लोग अपनी जान गवा चुके हैं जबकि हजारों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं.