मौसम परिवर्तन के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी

Hdnlive | स्वामीनाथ शुक्ल
अमेठी,25 अप्रैल।
मौसम परिवर्तन (weather change) के बाद सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया (cold, cough, fever and pneumonia) के मरीज बढ़ गए हैं।जिससे सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई हैं। नए जिला अस्पताल के जाने-माने एमडी मेडिसिन डाक्टर नीरज वर्मा ने बताया कि मौसम परिवर्तन के बाद सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया के मरीजों की संख्या रोजाना एक हजार के पार हो गई हैं। लेकिन इससे केवल संभलना है,डरना नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले दो दिन तेज बुखार आता है।बाद में बुखार सामान्य हो जाता है। लेकिन गले और फेफड़ों में जकडन, नाक जाम,सांस के साथ खांसी बहुत ज्यादा आती है। खांसी और सीने की जकड़न 5 से 8 दिन में ठीक हो जाती है।

बच्चों से ज्यादा मां को सावधानी की आवश्यकता है

डाक्टर वर्मा ने बताया कि सर्दी, खांसी और निमोनिया में दवा के साथ सुबह शाम भाप के साथ नमक के गुनगुने पानी से गरारे और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना है। उन्होंने बताया कि सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। 60 साल से ऊपर वाले सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इनकी सांस और खांसी को ठीक करने में वक्त लगता है। लेकिन सभी मरीज़ ठीक हो जाते हैं।बालरोग विशेषज्ञ डॉ लईक ने बताया कि छोटे बच्चों को सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया ज्यादा हो रहा हैं।तेज बुखार के साथ फेफड़ों में जकडन हो रही है।साथ में उल्टी-दस्त भी शुरू हो जाती है। लेकिन आराम जल्दी मिलता है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चों से ज्यादा मां के सावधानी की आवश्यकता है। छोटे बच्चे मां का दूध पीते हैं। जिससे मां की बीमारी बच्चों में उतर जाती है।इसी लिए बालरोग विशेषज्ञ बच्चों के साथ मां का भी इलाज करते हैं।

WhatsApp Image 2023 04 25 at 10.23.55 PM e1682442492766

अयोध्या के महिला रोज विशेषज्ञ डॉ राकेश सक्सेना ने बताया कि महिलाओं में खून की कमी बहुत होती है। इसके लिए खासकर गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार लेना चाहिए। बाकी नियमित रूप से जांच कराना चाहिए।कहने के लिए जिला अस्पताल में तीन महिला डाक्टर तैनात हैं। लेकिन महिला डाक्टरों के चेंबर में ताले लटकते रहते हैं। जिससे महिलाओं को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में करीब 48 सरकारी अस्पताल खुले हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर बैठते नहीं है। सबसे बुरा हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है।लौकापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कभी कभार खुलता है। जबकि आलीशान अस्पताल बना है।इसी गांव के एक आइएएस अधिकारी ज्ञानेश्वर त्रिपाठी झांसी मंडल के एडिशनल कमिश्नर है। लेकिन अस्पताल कागज में चल रहा है।

अस्पताल के नाम पर घोटाला

गांव वालों ने बताया कि अस्पताल कभी खुलता नहीं है। अस्पताल के बाहर कभी कभी एंबुलेंस एक दो घंटे खड़ी होती है। गौरीगंज में जिला अस्पताल खुलने के बाद गौरीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अता पता नहीं है। इसमें पचास से ज्यादा स्टाफ तैनात हैं।इस अस्पताल में केवल सीटी स्कैन की मशीन चलती है। बाकी अस्पताल के नाम पर आने वाला सरकारी बजट और दवा कहा जाती है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। चिकित्सा अधीक्षक कभी कभार सीएमओ आफिस में दिखाई पड़ते हैं। जिला अस्पताल में महिला डाक्टरों को छोड़कर बाकी डाक्टर और दवा दोनों हैं। लेकिन बाकी अस्पतालों का बुरा हाल है। जिससे मरीज निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर हैं। मुख्य फार्मासिस्ट मनीष ने बताया कि दवा का अभाव नहीं है।जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमेठी के चीफ फार्मासिस्ट जितेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकांश दवाएं मौजूद है।